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चीन से आई दो फ्लाइट में 50 फीसदी यात्री मिले कोरोना संक्रमित, इटली और US ने लिया ये बड़ा फैसला

इटली (Italy) ने चीन से आने वाली उड़ानों के लिए कोरोना टेस्ट अनिवार्य (Mandatory Covid Test) कर दिया है. यह फैसला बीजिंग (Beijing) से मिलान आई 2 उड़ानों में जांच के दौरान 50% से ज्यादा यात्रियों के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद लिया गया है. भले ही चीन का कहना है कि उसके यहां कोविड संक्रमण ‘अनुमानित और नियंत्रण में’ है, लेकिन बीजिंग के अचानक जीरो-कोविड पॉलिसी (Zero Covid Policy) के तहत लागू प्रतिबंधों को ​हटाने के बाद वहां बढ़ते कोरोना संक्रमण ने वैश्विक खतरा पैदा कर दिया है. कोरोना संकट (corona crisis) के बीच संयुक्त राज्य अमेरिका ने भी चीनी यात्रियों (Mandatory Covid Test for Chinese Travellers) के लिए कोरोना टेस्ट निवार्य कर दिया है. वह ऐसा करने वाला दुनिया का 5वां देश बन गया है.

लोम्बार्डी के रीजनल काउंसलर गुइडो बर्टोलासो ने मीडिया से कहा, ‘चीन से मिलना पहुंची पहली फ्लाइट के 92 यात्रियों में से 35 (38%) कोविड पॉजिटिव मिले हैं. दूसरे फ्लाइट के 120 यात्रियों में से 62 (52%) कोरोना संक्रमित मिले हैं.’ जापान और भारत ने चीन से आने वाले यात्रियों के लिए एयरपोर्ट पर ही आरटी-पीसीआर टेस्ट की शुरुआत कर चुके हैं. हालांकि, भारत और चीन के बीच कोई डायरेक्ट फ्लाइट सर्विस नहीं है,​ फिर भी एहतियातन यह कदम उठाया गया है. चीन 8 जनवरी से अपने यहां आने वाले यात्रियों के लिए अनिवार्य क्वारंटीन व्यवस्था समाप्त करने जा रहा है. बीजिंग के इस कदम का चीनी नागरिकों ने उत्साह के साथ स्वागत किया है. अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की बुकिंग में तेज उछाल देखा गया है.

अमेरिका के स्वास्थ्य अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि चीन द्वारा जीरो-कोविड नीतियों को हटाने के फैसले के बाद भारत, इटली, जापान और ताइवान के साथ मिलकर नए कदम उठाए जा रहे हैं. इसी के तहत 5 जनवरी से 2 वर्ष और उससे अधिक उम्र के सभी हवाई यात्रियों को चीन, हांगकांग या मकाओ से प्रस्थान करने से 2 दिन पहले कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट दिखाना अनिवार्य होगा. केंद्रीय अधिकारियों ने कहा कि जो यात्री उड़ान से 10 दिन पहले पॉजिटिव पाए जाते हैं, वह कोरोना से रिकवरी के दस्तावेज पेश कर सकते हैं. अमेरिकी अधिकारियों ने चिंता जताई कि चीन में कोविड मामलों की बढ़ती संख्या के परिणामस्वरूप वायरस के नए प्रकार विकसित हो सकते हैं.

अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, व्यापक जनविरोध के बाद चीन को मजबूरी में जीरो कोविड पॉलिसी खत्म करने का निर्णय लेना पड़ा. प्रतिबंधों में रहने के दौरान वहां लोग वायरस के प्रति अतिसंवेदनशील हो गए, उनमें कोरोनावायरस के खिलाफ इम्युनिटी नहीं विकसित हो पाई. प्रतिबंध हटने पर लोग अचानक वायरस के संपर्क में आए और COVID-19 बड़े पैमाने पर अनियंत्रित रूप से फैलने लगा. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक चीन में दिसंबर के शुरुआती 20 दिनों में 25 करोड़ से अधिक लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं और 10 लाख से अधिक मौतें हुई हैं. लेकिन चीन आंकड़े छिपा रहा है. अब तो उसने आधिकारिक आंकड़े जारी करने भी बंद कर दिए हैं. विश्व के कुछ प्रमुख महामारी विशेषज्ञों का मानना है कि जनवरी में चीन में हर रोज 40 लाख से अधिक कोरोना संक्रमित मिल सकते हैं.