चीन (China) की आस पास के सीमा पर बढ़ रही गतिविधियों को देखते हुए भारत (India) ने भी एक अहम फैसला लिया है. बुधवार को भारतीय वायुसेना (IFA) ने पूर्वी वायु कमान (ईएसी) के तहत हासीमारा एयरबेस (Hasimara Airbase) पर राफेल (Rafale) को तैनात कर दिया है. 101 स्क्वाड्रन में फाइटर जेट राफेल में शामिल किया गया है. पश्चिम बंगाल के हासीमारा एयरबेस के पास पहले मिग 27 स्क्वाड्रन था, जिसे अब सेवा से हटा दिया गया है. हासीमारा एयरबेन भूटान से निकटता के कारण भारतीय वायु सेना के संचालन के लिए एक रणनीतिक आधार है.
मौजूद रहे
इस बारे में एक्सपर्ट ने कहा है कि एयरफोर्स की ईस्टर्न कमांड के 101 स्क्वाड्रन में राफेल विमानों (Rafale Jets) को शामिल करने से देश की पूर्वी सीमा की पर अच्छे से निगरानी होगी. यहीं से चीन पर भारत पैनी नजर रखेगा. वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर.के.एस. भदौरिया (Air Chief Marshal RKS Bhadauria) ने बोला कि पूर्वी क्षेत्र में वायुसेना की शक्ति को और प्रबल करने को महत्व दिया है. हासीमारा में राफेल को शामिल करने का ये निर्णय बहुत सोच समझ कर लिया जाता है. एयरफोर्स की ताकत को बढ़ाने में राफेल मुख्य भूमिका रहेगा.
101 स्क्वाड्रन राफेल विमान से लैस होने वाली IAF दूसरी स्क्वाड्रन है. इसका गठन साल 1949 1 मई को पालम में किया गया था और यह हार्वर्ड, स्पिटफायर, वैम्पायर, सुखोई-7 और मिग-21 एम जैसे कई सारे विमानों का संचालन कर चुकी है. बता दें कि इस स्क्वाड्रन ने 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी भाग लिया था. ज्ञात हो कि 29 जुलाई, 2020 को पांच राफेल विमानों के पहले बैच के उतरने के बाद पहला स्क्वाड्रन अंबाला में निर्मित किया गया था. 10 सितंबर को इन विमानों को अंबाला एयर बेस पर 17 गोल्डन एरो स्क्वाड्रन में लिया गया था.
36 Fighter Jets के लिए किया गया समझौता
लगभग 58,000 करोड़ रुपये की लागत लगाकर भारत ने 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए साल 2016 सितंबर फ्रांस के साथ एक अंतर-सरकारी समझौता किया था. राफेल 4.5 पीढ़ी का विमान है. इसमें सभी नये हथियार, बेहतर सेंसर और पूरी तरह से एकीकृत आर्किटेक्टर है. एक साथ ये चार मिशन को पूरा कर सकते हैं. इसमें दो इंजन है. ये एक बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान है. फ्रांसीसी कंपनी दसाल्ट एविएशन ने इस विमान का निर्माण किया है.