प्रत्येक व्यक्ति को दूरदर्शी होना बेहद आवश्यक है। ऐसा इसलिए क्योंकि दूरदर्शी व्यक्ति छोटे-छोटे कामों में भी सावधानी बरतता है, उसे मालूम होता है कि छोटी-छोटी सावधानी उसे आने वाली भविष्य की बड़ी समस्याओं से बचा सकती हैं। यही कारण है कि आचार्य चाणक्य को दूरदर्शी माना जाता है। वह पहले से ही परिस्थितियों का आंकलन कर भविष्य के लिए रणनीति बना लेते थे।
आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति और दूरदर्शिता से एक साधारण से बालक को राजा बना दिया था। चाणक्य ने अपने ग्रंथ नीति शास्त्र में भविष्य से जुड़ी कई बातों के बारे में बताया है। एक श्लोक के माध्यम से उन्होंने कहा है कि व्यक्ति किन सावधानियों को अपनाकर भविष्य की आने वाली ढेर सारी परेशानियों से बच सकता है।
दृष्टिपूतं न्यसेत्पादं वस्त्रपूतं जलं पिबेत्
सत्यपूतं वदेद्वाचं मनः पूतं समाचरेत्।
चाणक्य ने बताया है कि हर व्यक्ति को पैर नीचे की तरफ देखकर ही रखना चाहिए। जो व्यक्ति ऐसा नहीं करते हैं, उन्हें दुर्घटना की चपेट में आने की पूरी आशंका रहती है। ऐसे लोग परेशानी को स्वयं ही न्यौता दे देते हैं।
चाणक्य के मुताबिक, स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छ पानी का पीना बहुत ही आवश्यक है। इसलिए पानी को हमेशा कपड़े से छानकर ही पिएं। पुराने समय में पानी कुएं, नदी या तालाब से आता था, इसलिए पानी को कपड़े से छानने की बात कही है। इस समय में पानी को शुद्ध करने के कई साधन मौजूद है। मगर साफ पानी पीने की बात आज भी प्रासंगिक है।
चाणक्य के अनुसार जो भी काम करें, उसे पूरे मन से ही करें। किसी भी काम की शुरुआत करने से पहले उसके बारे में विचार अवश्य करें और उसके परिणाम के बारे में सोचना चाहिए। चाणक्य के मुताबिक, जो व्यक्ति झूठ बोलता है वह एक न एक दिन परेशानी में पड़ सकता है। कभी कभी एक झूठ को छिपाने के लिए कई झूठ बोलने पड़ते हैं। यही कारण है कि कभी भी झूठ का सहारा नहीं लेना चाहिए।