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घर में शुभ कार्य से पहले क्यों बनाते हैं स्वास्तिक का चिन्ह, जानिए इसके पीछे का इतिहास और महत्व

हिंदू धर्म में स्वास्तिक निशान का खास महत्त्व होता है. यह हर शुभ कार्य करने के पहले घरों में स्वास्तिक का निशान बनाया जाता है. यह परंपरा काफी दिनों से चली आ रही है. स्वास्तिक निशान की परंपरा का प्रचलन जैन धर्म और बौद्ध धर्म में भी है. स्वास्तिक शब्द में सु का अर्थ शुभ होता है और अस्ति का मतलब होना है. हिंदू धर्म के रीति रिवाजों में किसी भी शुभ काम को करने के पहले भगवान गणेश और स्वास्तिक का निशान बनाया जाता है.

स्वास्तिक में बनी चार रेखाएं

स्वास्तिक में बनी चारों रेखाओं के बारे में लोगों के अलग –अलग मत हैं. कुछ लोगों का मानना है कि स्वास्तिक की ये चारों रेखाएं चारों दिशाओं –पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण की ओर संकेत करता है. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि ये चारों रेखाएं, चारों वेदों की प्रतीक हैं. तो वहीं कुछ लोगों का कहना है कि ये चार रेखाएं भगवान ब्रह्मा के चार सिरों की दर्शाती हैं.

स्वास्तिक हमेशा लाल रंग का ही बनाया जाता है क्योंकि हिंदू धर्म में लाल रंग खास महत्त्व है. हिंदू धर्म में पूजा पाठ के समय या किसी भी शुभ कार्य करने के समय लाल रंग का उपयोग किया जाता है.

वास्तु दोष दूर करने के लिएमान्यता है कि घर के मुख्य द्वारा पर स्वास्तिक निशान बनाने से घर की सभी प्रकार की परेशानियां दूर हो जाती है. घर में सुख- समृद्धि बनी रहती है.

व्यापर में लाभ: यदि व्यापार में हानि हो रही है तो ईशान कोण में लगातार 7 गुरुवार तक सूखी हल्दी से स्वास्तिक का निशान बनाएं. कारोबार में लाभ होगा.

सफलता के लिएयदि आप किसी कार्य में सफलता चाहते हैं तो घर के उत्तरी दिशा में सूखी हल्दी से स्वास्तिक का निशान बनाएं.