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गैंगेस्टर विकास दुबे एनकाउंटर मामला: सुप्रीम कोर्ट ने बनाई थी तीन सदस्यीय कमेटी, रिपोर्ट में सामने आई ये बात

कानपुर के बिकरू कांड के मास्टरमाइंड और गैंगेस्टर विकास दुबे एनकाउंटर मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस को बड़ी राहत मिली है. सूत्रों के मुताबिक एनकाउंटर की जांच करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित रिटायर्ड जस्टिस बीएस चौहान कमेटी ने यूपी पुलिस को क्लीन चिट दी. कमेटी को यूपी पुलिस के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले हैं. सूत्रों के मुताबिक, यूपी पुलिस के बयान खिलाफ कोई भी चश्मदीद गवाह सामने नहीं आया है, जो ये कहे कि पुलिस गलत कह रही थी. 8 महीनों की जांच के बाद रिटायर्ड जस्टिस बीएस चौहान कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यूपी पुलिस के खिलाफ कोई सबूत नही मिले हैं. यानी विकास दुबे एनकाउंटर केस में यूपी पुलिस को क्लीन चिट दी गई है.

सुप्रीम कोर्ट ने बनाई थी तीन सदस्यीय कमेटी

विकास दुबे एनकाउंटर केस की जांच करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय कमेटी की गठित की थी. कमेटी में उत्तर प्रदेश सरकार के प्रस्तावित नामों को मंजूरी देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर जस्टिस बीएस चौहान की अगुवाई में पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता और हाई कोर्ट के पूर्व जज शशिकांत अग्रवाल की कमेटी बनाई थी.

क्या है पूरा मामला

पिछले साल 2/3 जुलाई की रात को कानपुर के बिकरू गांव में विकास दुबे और उसके साथियों ने सीओ समेत 8 पुलिस वालों को रात के अंधेरे में घात लगाकर मार डाला था. पुलिसकर्मी विकास दुबे को पकड़ने गए थे. पुलिसकर्मियों की हत्या के अगले दिन ही पुलिस ने विकास दुबे के चाचा प्रेम प्रकाश पांडे और अतुल दुबे को मार गिराया था.

पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद विकास दुबे फरार हो गया था. पुलिस ने उस पर पांच लाख रुपये का इनाम रखा था. इस बीच 8 जुलाई, 2020 को एसटीएफ ने हमीरपुर जिले में विकास दुबे के करीबी और अंगरक्षक अमर दुबे को एक मुठभेड़ के दौरान ढेर कर दिया. इसी दिन विकास दुबे का करीबी प्रभात मिश्रा भी मुठभेड़ में मार गिराया गया. 9 जुलाई, 2020 को पुलिस ने गैंगस्टर विकास दुबे के एक और करीबी रणबीर उर्फ ​​बब्बन शुक्ला को इटावा में एनकाउंटर के दौरान मार गिराया. इसी दिन विकास दुबे को मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकाल मंदिर परिसर से गिरफ्तार कर लिया गया. बताया जा रहा है कि पूरी प्लानिंग के तहत विकास दुबे ने वहां जाकर सरेंडर किया था.

9 जुलाई, 2020 को उज्जैन पुलिस ने विकास दुबे की अधिकारिक गिरफ्तारी नहीं दिखाई और सीधे उसे यूपी एसटीएफ की टीम के हवाले कर दिया. इसलिए उसके लिए ट्रांजिट रिमांड की ज़रूरत नहीं पड़ी. एसटीएफ की टीम विकास दुबे लेकर कानपुर के लिए रवाना हुई. 10 जुलाई, 2020 को एसटीएफ का काफिला हाइवे से होते हुए कानपुर नगर की सीमा में दाखिल होता है. सुबह के 6 बजकर 32 मिनट पर हाइवे पर नाका लगाकर ट्रैफिक रोका जाता है. गोलियों के चलने की आवाज़ आती है. कुछ देर बाद विकास दुबे को खून से लथपथ हालत में कानपुर के हैलट अस्पताल में लाया जाता है, जहां डॉक्टर उसे मृत घोषित कर देते हैं. इस एनकाउंटर पर यूपी एसटीएफ ने सफाई देते हुए कहा कि बारिश के कारण गाड़ी फिसल कर पलट गई थी. गाड़ी पलटते ही विकास दुबे पुलिसकर्मियों का हथियार छीनकर भागने लगा था. पुलिस और विकास दुबे के बीच एनकाउंटर हुआ और वह मारा गया. पुलिस की इसी थ्योरी की जांच रिटायर जस्टिस की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय कमेटी कर रही थी.