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गुजरात में बोले अमित शाह, 2002 में भाजपा ने दंगाइयों को सिखाया था सबक, राज्य में आज तक है शांति

गुजरात चुनाव (gujarat election) में लगातार सभी दलों की तरफ से चुनाव प्रचार (Election Campaign) जारी है. इस बीच, गुजरात के भरूच (Bharuch) में एक रैली के दौरान शुक्रवार 25 नवंबर को केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने कैंपेन के दौरान 2002 के साल की याद दिला दी. उन्होंने भरूच में वागरा की एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि जब ये कांग्रेसी थे तब आए दिन दंगे होते थे की नही होते थे? लेकिन, 2002 में जब नरेंद्र भाई थे तब एक ऐसा ही प्रयास किया गया, 2002 में इन्होंने हिंसा करने की हिम्मत की थी, इनको ऐसा पाठ पढ़ाया कि 2022 यानी आज के दिन तक अब कोई जरा भी ऐसा प्रयास करने का नाम नहीं ले रहा.

गृह मंत्री ने आगे कहा कि दंगे करवाने वाले गुजरात से बाहर चले गये. भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात में शांति स्थापित कर्फ्यू बिना के राज्य बनाने का काम भारतीय जनता पार्टी ने किया है. गौरतलब है कि गुजरात में फरवरी, 2002 में गोधरा रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन में आग लगने की घटना के बाद राज्य के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी.

अमित शाह ने राज्य में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले खेड़ा जिले के महुधा में भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में एक रैली की। उन्होंने आरोप लगाया, ”गुजरात में कांग्रेस के शासनकाल में (1995 से पहले), अक्सर साम्प्रदायिक दंगे होते थे. कांग्रेस विभिन्न समुदायों और जातियों के सदस्यों को एक-दूसरे के खिलाफ उकसाती थी. कांग्रेस ने ऐसे दंगों के जरिए अपने वोट बैंक को मजबूत किया और समाज के एक बड़े वर्ग के साथ अन्याय किया.’’

उन्होंने दावा किया कि गुजरात में 2002 में दंगे इसलिए हुए क्योंकि अपराधियों को लंबे समय तक कांग्रेस से समर्थन मिलने के कारण हिंसा में शामिल होने की आदत हो गई थी. वरिष्ठ बीजेपी नेता ने कहा, ‘‘लेकिन 2002 में सबक सिखाए जाने के बाद ऐसे तत्वों ने वह रास्ता (हिंसा का) छोड़ दिया. वे लोग 2002 से 2022 तक हिंसा से दूर रहे.

अमित शाह ने कहा कि भाजपा ने सांप्रदायिक हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर गुजरात में स्थायी शांति कायम की है. जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद देते हुए शाह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस अपने ‘वोट बैंक’ के कारण इसके खिलाफ थी.