विदेशी बाजारों (foreign markets) में खाद्य तेलों (edible oils) की कीमतों में तेजी के बावजूद इंडोनेशिया (Indonesia) द्वारा निर्यात खोलने के कारण देशभर के तेल-तिलहन बाजारों में बीते सप्ताह अधिकांश तेल-तिलहनों की कीमतों में गिरावट का रुख देखने को मिला, बाजार सूत्रों ने बताया कि पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 100 रुपये टूटकर 7,515-7,565 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल 250 रुपये टूटकर समीक्षाधीन सप्ताहांत में 15,050 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं , सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतें भी क्रमश: 40-40 रुपये की नुकसान के साथ क्रमश: 2,365-2,445 रुपये और 2,405-2,515 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुईं।
सूत्रों ने कहा कि विदेशी बाजारों में तेजी के बावजूद डीओसी मांग होने से समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज के थोक भाव क्रमश: 25-25 रुपये लाभ के साथ क्रमश: 7,025-7,125 रुपये और 6,725-6,825 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
सोयाबीन दिल्ली का थोक भाव 400 रुपये टूटा
गिरावट के आम रुख के अनुरूप समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन तेल कीमतें नुकसान के साथ बंद हुईं। सोयाबीन दिल्ली का थोक भाव 400 रुपये की नुकसान के साथ 16,650 रुपये, सोयाबीन इंदौर 500 रुपये की गिरावट 16,000 रुपये और सोयाबीन डीगम का भाव 300 रुपये की गिरावट के साथ 15,250 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
मूंगफली तेल गुजरात 200 रुपये सस्ता
पूर्व सप्ताहांत के बंद भाव के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन के भाव भी नुकसान दर्शाते बंद हुए। मूंगफली दाना 125 रुपये, मूंगफली तेल गुजरात 200 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 6,710-6,845 रुपये और 15,650 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव भी 25 रुपये टूटकर 2,625-2,815 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।
कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव भी 500 रुपये टूटा
समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी बाजारों में अधिक कीमत होने की वजह से कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव भी 500 रुपये टूटकर 14,850 रुपये क्विंटल, पामोलीन दिल्ली का भाव 600 रुपये टूटकर 16,350 रुपये और पामोलीन कांडला का भाव 520 रुपये टूटकर 15,200 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल का भाव 350 रुपये टूटकर 15,250 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
सबसे अधिक दबाव सरसों पर
बाजार सूत्रों ने कहा कि इंडोनेशिया द्वारा निर्यात खोले जाने के बाद विदेशों में सूरजमुखी को छोड़कर सोयाबीन, पामोलीन तेलों के दाम में लगभग 100 डॉलर की कमी हुई है। ऊंचे दाम पर देश में आयात घटा है और स्थानीय मांग की पूर्ति देशी तेल (सोयाबीन, मूंगफली, बिनौला और सरसों) से की जा रही है। इसमें सबसे अधिक दबाव सरसों पर है, जो आयातित तेलों से कहीं सस्ता बैठता है। आयातित तेलों की मांग भी नहीं के बराबर है जिससे पिछले साल के मुकाबले इस बार अप्रैल में आयात लगभग 13 प्रतिशत घटा है।
सरसों का भारी मात्रा में बन रहा रिफाइंड
सूत्रों ने बताया कि हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे उत्तर भारतीय राज्यों में सरसों का भारी मात्रा में रिफाइंड बनाया जा रहा है, लेकिन आयातित तेलों की कमी को इन तेलों से पूरा करने की भी एक सीमा है। इसके कारण आने वाले दिनों में सरसों जैसे तिलहन की किल्लत पैदा हो सकती है। आने वाले दिनों में खाद्य तेल आपूर्ति की दिक्कतों से बचने के लिए सरकारी खरीद एजेंसियों को सरसों जैसे तिलहनों का स्टॉक बना लेना चाहिये और सरकार को खुदरा कारोबार में जहां धांधलेबाजी हो उसे रोकने का इंतजाम करना चाहिये।