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केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा की बढ़ी मुश्किलें, आज 22 साल पुराने मामले में कोर्ट सुनाएगी अंतिम फैसला

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में लखीमपुर खीरी के प्रभात गुप्ता हत्याकांड मामले की अंतिम सुनवाई सोमवार को होगी. इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी समेत चार लोग आरोपी है. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री इस मामले में हाईकोर्ट से मिली जमानत पर चल रहे. आज की सुनवाई पर देश के तमाम सियासी दलों के साथ ही आम लोगों की भी निगाहें हैं. अगर कोर्ट का फैसला अजय मिश्रा टेनी के खिलाफ आता है तो उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

दरअसल, 8 जुलाई 2000 को लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया थाना क्षेत्र के तिकुनिया कस्बे में एक 22 साल के नौजवान युवा प्रभात गुप्ता हत्याकांड के मामले में मौजूदा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी आरोपित है. इस मामले की पैरवी स्वर्गीय प्रभात गुप्ता के भाई राजीव गुप्ता कर रहे हैं जो अब सुप्रीम कोर्ट में भी गए हैं. 8 जुलाई 2000 को तिकुनिया कस्बे में हुई प्रभात गुप्ता की हत्या के मामले में हत्या की पैरवी कर रहे उनके छोटे भाई राजीव गुप्ता ने न्यूज़ 18 से खास बातचीत करते हुए बताया कि उनके बड़े भाई प्रभात गुप्ता जिला पंचायत चुनाव की तैयारी कर रहे थे और मौजूदा गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे थे. जिसके चलते दोनों के बीच विवाद हुआ और उनके भाई की हत्या कर दी गई.

राजीव गुप्ता ने बताया कि उनके भाई प्रभात गुप्ता की हत्या की जांच पहले सीबीसीआईडी को दी गई थी, लेकिन जब लोगों ने उन्हें बताया कि सीबीसीआईडी में मामले सालों साल लटके रहते हैं तो इस पर उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री से मिलकर इसकी जांच हटवाने का अनुरोध किया था. जिस पर यह जांच दोबारा आईजी जोन के स्तर से कराई जा रही थी. प्रभात गुप्ता के छोटे भाई राजीव गुप्ता ने न्यूज18 को बताया कि यह मामला लखनऊ हाई कोर्ट में पिछले 2 सालों से पेंडिंग है, जिस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही थी. इसलिए उन्होंने अब सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर दी है और वह चाहते हैं कि उनके मामले की सुनवाई हो और जो मौजूदा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी कठोर सजा मिले।

प्रभात हत्याकांड के मुख्य बिंदु

8 जुलाई 2000 को प्रभात गुप्ता की गोली मार कर तिकुनिया में हत्या हुई. जिसमें तिकुनिया थाने में FIR 41/2000 दर्ज हुई और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा समेत 4 लोग नामज़द हुए थे. 29 मार्च 2004 को गवाह होने के बाद भी लखीमपुर न्यायालय से केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को दोष मुक्त कर दिया गया. 15 मई 2004 को बरी किए गए आदेश के ख़िलाफ़ रिवीज़न पिटीशन हाईकोर्ट में प्रभात गुप्ता के पिता संतोष गुप्ता ने दाखिल कर लखीमपुर न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए हत्या में तथ्यों को स्वीकार नही करने का आरोप लगाया। साथ ही राज्य सरकार की ओर से भी उच्च न्यायालय में बरी किए जाने के विरुद्ध अपील दाखिल की गई. 2004 में ही संतोष गुप्ता की याचिका स्वीकार हो गई. साथ ही 2013 में चीफ़ जस्टिस ने आदेश दिया की मुक़दमा सुना जाए

2005 मे वादी मुक़दमा प्रभात गुप्ता के पिता का संतोष गुप्ता के निधन हो गया. 2018 में डबल बेंच के सामने मुक़दमे की सुनवाई पूरी हुई और आदेश सुरक्षित किया गया, लेकिन फ़ैसला 6 महीने के बाद भी न आने के कारण वादी स्व सन्तोष गुप्ता के बेटे राजीव गुप्ता ने एक अपील दाखिल कि जिसमें फ़ैसला न आने के कारण पर बहस हुई और प्रभात गुप्ता की हत्या के मुक़दमे की सुनवाई फिर से करने का आदेश हुआ. इस बीच 4 साल तक सुनवाई की तारीख़ न मिलने के कारण जनवरी 2022 में सर्वोच्च न्यायालय में राजीव गुप्ता ने रिट दाखिल की. कुछ दिन के बाद पुनः हाईकोर्ट में एक सुनवाई के लिए आवेदन किया. जिस पर न्यायाधीश रमेश सिन्हा एवं न्यायाधीश सरोज यादव की डबल बेंच ने 7 अप्रैल 22 को सुनवाई के बाद 16 मई को फ़ाइनल सुनवाई का आदेश दिया. अब प्रभात गुप्ता की हत्या में अंतिम सुनवाई के बाद फ़ैसला आएगा.

भाई ने न्याय की उम्मीद जताई

मृतक प्रभात गुप्ता के छोटे भाई राजीव गुप्ता ने बताया कि 8 जुलाई 2000 को उनके बड़े भाई प्रभात गुप्ता की मौजूदा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी ने अपने तीन साथियों के साथ मिलकर गोली मारकर हत्या कर दी थी. हम लोग उसी समय से न्याय के लिए कोर्ट के इंसाफ मांग रहे है. हमें उम्मीद है न्यायपालिका सच का साथ देगी और हत्या के आरोपी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और साथियों को कड़ी से कड़ी सजा देगी.