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कश्मीरी पंडितों का हत्यारा बिट्टा कराटे मामले की सुनवाई 10 मई तक टली

कश्मीरी पंडितों व अन्य लोगों को मौत के घाट उतारने वाले दरिंदा व हत्यारा फारूक डार उर्फ बिट्टा कराटे मामले की सुनवाई 10 मई तक टाल दी गई है। कश्मीरी पंडित सतीश टिक्कू की हत्या के 31 साल बाद उनके परिजनों ने स्थानीय अदालत में आवेदन देकर दर्ज प्राथमिकी पर औपचारिक सुनवाई की मांग करते हुए आरोप पत्र दाखिल करने का आग्रह किया था।

श्रीनगर के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने सतीश के भाई महाराजा कृष्ण टिक्कू की याचिका पर सुनवाई के लिए 16 अप्रैल की तारीख तय की थी। जेकेएलएफ नेता बिट्टा कराटे पर सतीश टिक्कू की हत्या का आरोप लगा था।

सतीश टिक्कू की हत्या और कश्मीरी पंडितों का पलायन
बता दें कि साल 1990 में सतीश टिक्कू की हत्या कर दी गई थी। इसका आरोप बिट्टा कराटे पर लगा था। 1991 में एक टीवी चैनल पर इंटरव्यू के दौरान बिट्टा कराटे ने स्वीकार किया था कि उसने अपने दोस्त सतीश टिक्कू समेत दर्जनों कश्मीरी पंडितों को मार डाला और कश्मीरी पंडितों को घाटी से पलायन करने पर मजबूर कर दिया।

3 साल से जेल में बंद है बिट्टा
साल 2019 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने आतंकी फंडिंग के एक मामले में बिट्टा को गिरफ्तार किया गया था। वह तब से जेल में है। इससे पहले नवंबर 1990 और 2006 के बीच हत्या व अन्य विभिन्न आरोपों में लगभग 16 वर्षों तक जेल में रहा था। 2006 में टाडा अदालत ने उसके खिलाफ आरोप तय करने में अत्यधिक देरी के आधार पर जमानत दी थी।

‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म में आतंकी बिट्टा की हैवानियत और लोगों को भड़काने वाला इंटरव्यू दिखाया गया है। उसने इंटरव्यू में बेखौफ होकर कश्मीरी हिंदुओं की हत्या की बात कबूली है। वह बताता है कि उसने करीब 20 लोगों को मौत के घाट उतारा। इसमें कश्मीर पंडित और मुसलमान भी शामिल हैं। वह बताता है कि उसने सबसे पहले सतीश कुमार टिक्कू को मारा, जोकि कश्मीरी पंडित परिवार से ताल्लुक रखता था।
 
जम्मू-कश्मीर पुलिस के पूर्व डीजीपी एसपी वैद ने कुछ दिन पहले कहा था कि आतंकी बिट्टा कराटे ने पुलिस की पूछताछ में 20 के करीब लोगों की हत्या की बात कबूली थी, लेकिन पुलिस के सामने यह किया गया कबूलनामा कोर्ट में मंजूर नहीं किया जाता। बाद में उसके खिलाफ किसी ने कोई गवाही नहीं दी।