सिनेमा जगत ने एक ऐसा सितारा खो दिया, जो वापस कभी नहीं मिल पायेगा | 29 अप्रैल को इरफ़ान ने दुनिया को अलविदा कह दिया, उनकी जगह इस दुनिया में फिर कोई नहीं ले पायेगा | वे अंतिम बार अपनी फिल्म अंग्रेजी मीडियम में नजर आये थे | उन्होंने अपने 32 साल के करियर में इतना कुछ हासिल कर लिया था, जो किसी के बस में नहीं है | उनके अभिनय में वो जादू था, जिसने उन्हें पुरे विश्वपटल पर पहचान दिलाई | आज हम आपको उनकी कुछ फिल्मो के बारे में बताने जा रहे है, जो आपको एक बार जरूर देखनी चाहिए | ये फिल्मे उनके अभिनय की ताकत को बताती है |
मक़बूल
विशाल भरद्वाज निर्देशित यह फिल्म 2003 में आयी थी | इस फिल्म में उन्होंने अंडरवर्ल्ड डॉन के भरोसेमंद आदमी का किरदार निभाया था |
पान सिंह तोमर
साल 2012 में यह फिल्म आयी थी | तिग्मांशु धुलिया निर्देशित इस फिल्म में इरफान ने जो अभिनय किया था, वो अद्वितीय था | इस फिल्म के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था |
लाइफ ऑफ़ पाई
इरफ़ान ने जितनी पहचान इंडिया में कमाई थी, उससे ज्यादा इज्जत विदेश में कमाई थी | उनकी फिल्म लाइफ और पाई जीवन के एक संघर्ष की कहानी है |इस फिल्म को ताइवान के डायरेक्टर आंग ली ने निर्देशित किया था | कैसे एक नाव पर समुद्र के बीच भूखे शेर के साथ रहना आत्महत्या करने जैसा होता है | इस फिल्म को 12 ऑस्कर के लिए नॉमिनेट किया गया था |
साहब बीवी और गैंगस्टर रिटर्न्स
इस फिल्म में इरफ़ान ने उजड़ी हुयी रियासत के सुल्तान इंद्रजीत का किरदार निभाया था, जो अपनी रियासत पाने की कोशिश में है | तिग्मांशु धुलिया निर्देशित इस फिल्म को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी खूब सराहा गया था |
लंच बॉक्स
एक खाने के डब्बे की अदला बदली से किस तरह प्यार पनपता है | इस फिल्म में आपको देखने को मिलेगा | इस फिल्म में इरफ़ान की अदाकारी में आप खो जाएंगे | ये फिल्म आपको जरूर देखनी चाहिए |
तलवार
नोएडा में हुए आरुषि हत्याकांड की चर्चा आज भी होती है | इस पर फिल्म मेघना गुलजार ने फिल्म बनाई | इरफ़ान ने इस फिल्म में अश्विन कुमार नाम के CBI अफसर का किरदार निभाया था |
मदारी
इस फिल्म को लेकर इरफ़ान कहते है की ये फिल्म उनके दिल के करीब है | इस फिल्म में उनका किरदार मदारी की तरह पुरे सिस्टम को हिला देता है | सरकारी तंत्र को सबक सिखाने के लिए वह गृहमंत्री के बेटे का अपहरण करता है |
हिंदी मीडियम
इरफ़ान की इस फिल्म को खूब सराहा गया था | हंसी और दर्द से भरी ये फिल्म बेहद खूबसूरत है | किस तरह अमीर गरीब का हक़ छिनता है ये इस फिल्म में देखने को मिलता है |
लाइफ इन अ मेट्रो
उनकी यह फिल्म प्रेम और अर्थ की तलाश करते भारत के युवा और बेचैन पेशेवर वर्ग के बीच के गुस्से को पकड़ती है | इस फिल्म में उन्होंने एक ऐसे शख्स का किरदार निभाया है, जो अजीब और हमजोली है लेकिन बेहद स्वीट है |
हैदर
इस फिल्म में इरफ़ान का डायलॉग बहुत फेमस हुआ था “दरिया भी मैं, दरख़्त भी मैं… झेलम भी मैं, चिनार भी मैं… दैर भी हूँ, हरम भी हूँ… शिया भी हूँ, सुन्नी भी हूँ, मैं हूँ पंडित… मैं था, मैं हूँ और मैं ही रहूंगा” | इस फिल्म में परिवार और देश का विभाजन, पिता की मौत का बदला और उग्रवाद को प्रभावित करती राजनीती को दिखाया गया है |