छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सलियों और जवानों के बीच हुई मुठभेड़ में लगातार खुलासे हो रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि तेकुलागुडेम गांव के पास सुरक्षाबलों के एक दल पर नक्सलियों ने घात लगाकर हमला किया था। तेकुलागुडेम गांव के लोग घर छोड़कर बाहर चले गए थे। तीन-चार दिन बीतने के बाद अब गांव वाले वापस लौटने लगे हैं। लौट रहे लोगों ने बताया कि किस तरह उन्हें बंदूक के बल पर नक्सलियों ने घर छोड़कर भागने के लिए मजबूर किया था। एक ग्रामीण क्यू रमेश ने बताया कि नक्सलियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच गोलाबारी हुई थी। हम डर गए थे। हमारे पास भागने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। गांव के ही मेरे कई दोस्त अभी भी डरे हुए हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी अपने ट्रकों पर सवार हो गए और पास के एक गांव में चले गए। गांव के जिन लोगों ने गांव नहीं छोड़ा उन्हें नक्सलियों ने पुलिस को फोन करने पर धमकी दी है। पुलिस ने नक्सलियों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए हमारी पिटाई की। हम वापस आ गए हैं और अपनी दैनिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं। एक अन्य ग्रामीण छात्र ने बताया कि जब सुरक्षाकर्मी बड़ी संख्या में आ रहे थे।
नक्सलियों को देख कर हम सभी डर गए और भाग गये। हम खतरे को भांप सकते थे और मिनटों बाद नक्सलियों का एक झुंड पास के जंगलों से सामने आया और गोलीबारी शुरू कर दी। उन्होंने भी फायरिंग शुरू कर दी। यही कारण है कि हम सभी ने भागने का फैसला किया। जिन्दगी बचाने के लिए भागना जरूरी था। ग्रामीणों ने कहा कि अब हम घर वापस आ गए हैं। लौटने पर हमें रास्ते में नक्सलियों के कई शव दिखाई दिए। अधिकारी फिर पहुंचे और शवों को ले गए।
ज्ञात हो कि शनिवार को सुकमा-बीजापुर सीमा पर सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हो गए। इस मुठभेड़ में 31 जवान घायल हो गए थे। बताया जा रहा है कि एक जवान नक्सलियों के पास है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि मुठभेड़ चार घंटे चली और सुरक्षाबलों ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में प्रवेश किया और बहादुरी से लड़े। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिदेशक कुलदीप सिंह हमले के बाद की स्थिति की निगरानी करने के लिए छत्तीसगढ़ में हैं। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन के बारे में कोई खुफिया जानकारी नहीं थी।