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अयोध्या :अवैध कॉलोनाइजरों की लिस्ट में भाजपा विधायक और महापौर, चर्चित भूमाफिया को कौन बचा रहा

अयोध्या की अवैध कॉलोनाइजरों की जारी कथित सूची में भाजपा विधायक व महापौर का नाम शामिल किया गया लेकिन चर्चित बड़े भूमाफिया को बचाने की पूरी कोशिश की गई है। इसके कारण अयोध्या विकास प्राधिकरण के अफसर खुद कठघरे में खड़े हो गये हैं। इस सूची के बारे नगर आयुक्त व एडीए के उपाध्यक्ष विशाल सिंह स्पष्टीकरण दे चुके हैं कि विभाग से कोई अधिकृत सूची नहीं जारी की गई है। फिर भी उन्होंने माना कि चिह्नित अवैध कालोनियों की सूची बनाई जा रही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कथित सूची में जनप्रतिनिधियों का नाम कैसे और कहां से आया यह जांच का विषय है।

बावजूद इसके इतना तय है कि एडीए कार्यालय से ही सुनियोजित तरीके से सूची लीक की गयी है। इस कारण चर्चित भूमाफिया का नाम इसमें शामिल नहीं किया गया है। इसी को लेकर एडीए के नामित सदस्यों व भाजपा के क्षेत्रीय मंत्री कमलेश श्रीवास्तव एवं महानगर महामंत्री परमानंद मिश्र ने अफसरों की मंशा पर सवाल खड़ा किया है। दोनों नामित सदस्यों ने मंडलायुक्त को पत्र देकर प्राधिकरण बोर्ड की बैठक बुलाकर इस प्रकरण पर चर्चा करने के अलावा मामले की गंभीरता से जांच की भी मांग की है। अयोध्या धाम के चतुर्दिक अवैध कालोनियां हाल के वर्षों में विकसित हुई हैं और मांझा बरहटा से लेकर तिहुरा व मीरापुर द्वाबा एवं मांझा जमथरा में दर्जनों स्थानों पर जमीन की प्लाटिंग धड़ल्ले से कर बेचा जा रहा है।

प्राधिकरण के लेखपाल को बंधक बनाकर पीटने के केस में लगी फाइनल रिपोर्ट
खास बात यह भी है कि प्रापर्टी डीलर साइट पर ही कार्यालय बनाकर खुलेआम धंधा कर रहे हैं। यहां राजस्व विभाग से लेकर पुलिस अधिकारियों की भी प्राय: बैठकें भी होती हैं। इसके अतिरिक्त नजूल की जमीनों की भी प्लाटिंग कर उनकी भी बिक्री की गयी। फिर भी एडीए के अधिकारी आंखे बंद कर बैठे रहे। इतना ही नहीं बैकुंठ धाम के निकट एक अवैध निर्माण को लेकर पड़ताल करने गये विकास प्राधिकरण के ही लेखपाल को निर्माण एजेंसी के गुर्गों ने बंधक बनाकर पीटा और अपहरण का भी प्रयास किया था। इस मामले में सम्बन्धित कर्मचारी की लिखित शिकायत पर अयोध्या कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया लेकिन जानकारी मिली कि इस प्रकरण में अधिकारियों की उपेक्षा के कारण फाइनल रिपोर्ट लगाई जा चुकी है।

चारागाह की जमीन की नवैय्यत बदलने की शिकायत धरी रह गई
भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस के ऐलान के बाद मुख्यमंत्री पोर्टल पर की गई शिकायतों को भी अफसर गंभीरता से नहीं लेते हैं। उल्टा निस्तारित की कथित रिपोर्ट भी भेज दी जाती है। ऐसा एक प्रकरण मौजा रानोपाली के गाटा संख्या 446 की करीब साढ़े आठ बिस्वा भूमि का है जो कि चारागाह की भूमि है। इस भूमि की नवैय्यत बदलकर प्लाटिंग के जरिए करोड़ों का खेल किया गया। इसकी शिकायत रामजन्मभूमि ट्रस्ट कार्यालय के प्रभारी प्रकाश कुमार गुप्त ने की थी। पत्र में बताया गया कि भूमाफिया ने एक विक्षिप्त की आड़ में चारागाह की भूमि असामी शिब्बन पुत्र नंदलाल के नाम दर्ज कर दी गई। कहा गया कि भूमि की नवैय्यत बदलने का अधिकार न तो जिलाधिकारी और न ही चकबन्दी न्यायालय को है। फिर भी भूमि का भू-उपयोग परिवर्तन भी कर दिया गया और अकृषीय भूमि दिखाकर दो प्लाटों की बिक्री कर दी गई है। यह सब तब हुआ जबकि प्रश्नगत गांवसभा नगर निगम के विस्तारित क्षेत्र में समाहित हो गयी। बताया गया कि इस प्रकरण में कोई कार्यवाही नहीं हुई और इसे निस्तारित भी दिखा दिया गया।

सप्तसागर में भूमि/ भवन स्वामियों की भी सूची हुई जारी
भूमाफिया ने कई पौराणिक कुंडों की जमीन बेचकर उनके अस्तित्व पर ही ग्रहण लगा दिया। आईटीआई परिसर मे स्थित एक कुंड का प्रकरण लंबे समय तक चर्चा में रहा। फिर शांत हो गया।  क्षीरसागर में नगर आयुक्त व एडीए उपाध्यक्ष विशाल सिंह ने स्वयं कार्यवाही की और अब पूरा मामला ठंडे बस्ते में है। इस बीच सप्तसागर में भूमि/भवन स्वामियों की सूची जारी की गई है। तहसीलदार सदर राज कुमार पांडेय ने बताया कि सप्तसागर के खतौनी में तालाब दर्ज है, जो कि करीब दो एकड़ का क्षेत्र है जहां आबादी विकसित हो गई है। अब यहां बसे लोगों को बेदखल किए जाने की प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाएगी। उन्होंने बताया कि पहले नोटिस भेजी जाएगी। यदि स्वत: नहीं हटते तो वैधानिक ढंग से हटाया जायेगा। तहसीलदार यह नहीं बता सके कि सप्तसागर तालाब की भूमि पर कैसे और कब आबादी बसी। हालांकि उन्होंने कहा कि यहां कि भूमि की प्लाटिंग किसने कराई और कैसे बेची इसकी जांच भी होगी।

मुख्यमंत्री ने अयोध्या विधायक को दिया जांच का भरोसा
अयोध्या के नगर विधायक वेद प्रकाश गुप्त ने सोमवार को लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने अयोध्या विकास प्रधिकरण के नाम से जारी की गई अवैध कॉलोनाइजरों की कथित सूची में खुद का नाम शामिल कर छवि धूमिल किए जाने की साजिश से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि इस तरह की साजिश में प्राधिकरण के किस अधिकारी और कर्मचारी की भूमिका है इसकी उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों पर कार्रवाई की जाए। विधायक के अनुसार मुख्यमंत्री ने जांच व कार्रवाई का भरोसा दिया।