रूस और अमेरिका के बीच जारी विवाद को एक बार फिर उस वक्त हवा मिली जब रूसी अधिकारियों ने अमेरिकी प्रौद्योगिकी कंपनियों पर सितंबर में होने जा रहे संसदीय चुनावों में दखल देने का आरोप लगाया। रूसी विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में अमेरिकी राजदूत जॉन सुलिवन को समन करके रूसी उप-विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव से मिलने को भी कहा है। इससे पहले अमेरिका इस तरह के आरोप रूस पर लगाता रहा है। अमेरिका ने 2016 और 2020 के राष्ट्रपति चुनावों में रूस प्रशासन पर अमेरिकी चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने के आरोप लगाए थे। इस बार रूस ने उसी तरह के आरोप अमेरिका पर लगाए हैं। रूसी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करके कहा कि उसके पास इस बात के पुख्ता प्रमाण हैं कि अमेरिका स्थित बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों ने आगामी चुनावों से पहले रूसी कानूनों का उल्लंघन किया है।
रूस ने हालांकि यह नहीं बताया कि ये कौन सी कंपनियां हैं और उन्होंने किस तरह के रूसी कानूनों का उल्लंघन किया है। लेकिन माना जा रहा है कि रूसी संसद (क्रेमलिन) के आलोचक एलेक्सी नवलनी के एप को एपल और गूगल ने अपने ऑनलाइन स्टोर से हटाने से इनकार कर दिया था जिसे रूस अपने देश के चुनाव में दखल मानता था।
नवलनी के एप पर मतदान योजना के प्रचार का विरोध
रूस में राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के आलोचक एलेक्सी नवलनी का मामला काफी गरमाया हुआ है। हालांकि रूसी कानून के मुताबिक उन्हें सजा मिली हुई है लेकिन उनका एप एक ऐसी रणनीतिक मतदान योजना का प्रचार कर रहा है जिसमें कहा जा रहा है कि वे सत्तारूढ़ यूनाइटेड रशिया पार्टी को परास्त कर सकते हैं। इस एप को नवलनी के सहयोगी की भी मदद मिल रही है। जबकि रूस सरकार इसे देशद्रोह जैसा अपराध मानती है। इसी कारण उसने गूगल और एपल एप स्टोर से इसे हटाने की मांग की जिसे उन्होंने इनकार कर दिया।
बाइडन-पुतिन मुलाकात से थमा था विवाद
हाल ही में रूस और अमेरिका के राष्ट्रपतियों की आमने-सामने हुई मुलाकात से दोनों देशों के बीच विवादों में नरमी दिखाई दी थी लेकिन रूस ने एक बार फिर अपने देश के चुनाव में इसे मुद्दा बना लिया है। इससे पहले अमेरिका भी अपने यहां होने वाले चुनावों में रूस पर आरोप लगाता रहा है। हालांकि अमेरिका ने इस विवाद को लेकर रूस के कई राजनयिकों को अपने देश से भी निकाला था लेकिन इस विवाद पर बाइडन और पुतिन की मुलाकात के बाद विराम लग गया था।