पंचायत चुनाव की तारीखों का ऐलान तो अभी नहीं हुआ है, लेकिन दावेदार जीतोड़ मेहनत कर तैयारियां कर रहे हैं। गांव की गलियों, चौराहों और मोहल्लों में अपने पसंदीदा प्रत्याशी को जीताने की चर्चा जोरो से चल रही है।
चुनाव आयोग की ओर से भी मतदाता सूची को अंतिम रूप दे दिया गया है। वहीं, जो चर्चाएं थी कि उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में लेटलतीफी हो सकती है, अब ऐसा नहीं होने जा रहा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरूवार को साफ कर दिया है कि पंचायत चुनाव का कार्य 17 मार्च तक पूरा कर लिया जाए।
हाई कोर्ट ने गुरुवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्देश दिए कि 30 अप्रैल तक प्रधानों के चुनाव कराए जाएं। इसके अलावा 15 मई तक जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव कराए जाएं। हाई कोर्ट ने कहा कि 15 मई तक ही ब्लॉक प्रमुख के चुनाव करा लिए जाएं।
– आरक्षण सूची अभी नहीं हो सकी जारी
दरअसल पिछले कुछ महीनों से पंचायत चुनाव में आरक्षण को लेकर ही स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है। हालांकि उत्तर प्रदेश के संसदीय कार्य और ग्राम्य विकास राज्यमंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला ने कहा है कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए 15 फरवरी तक आरक्षण की स्थिति स्पष्ट होने का आश्वासन दिया था। वहीं, राजधानी में पंचायत चुनाव के मद्देनजर अतिसंवेदनशील और संवेदनशील मतदान केंद्रों की तलाश तेज हो गई है। डीएम अभिषेक प्रकाश ने ऐसे मतदान केंद्र चिह्नित करने के लिए जिला प्रशासन और पुलिस अफसरों की संयुक्त कमिटी बनाई है। राजधानी में पिछले पंचायत चुनाव में 718 मतदान केंद्र थे। इसमें 93 अतिसंवेदनशील+, 238 अतिसंवेदनशील और 304 संवेदनशील थे। इस बार परिसीमन के बाद सिर्फ 626 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। लिहाजा संवेदनशील केंद्रों की संख्या भी कम होगी।