कांग्रेस छोडक़र भाजपा से हाथ मिलाने वाले विधायक और मंत्रियों की सीटों पर कांग्रेस विशेष ध्यान दे रही है। इन सीटों के लिए कांग्रेस एक एक्शन प्लान तैयार कर रही है। यही नहीं इन सीटों पर सर्वे के आधार पर टिकट तो दिए जाएंगे, लेकिन जिस सीट पर अगर कोई दमदार प्रत्याशी बाहर से आता है तो भी पार्टी उसे मौका देगी।
भोपाल में इसको लेकर एक्शन प्लान तैयार किए जाने की खबर है। कमलनाथ स्वयं 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर गंभीर हैं और अपनी सर्वे टीम से दमदार प्रत्याशियों के अलावा उन लोगों पर भी निगाह रख रहे हैं, जो दलबदल कर सकते हैं। ऐसे लोगों को टिकट नहीं दिया जाएगा। भाजपा के सिंधिया खेमे के मंत्रियों की हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है, ताकि चुनाव में इसको मुद्दा बनाया जा सके। सूत्रों का कहना है कि कमलनाथ का सर्वे शुरू हो चुका है और कांग्रेस नेताओं के परफार्म के आधार पर भी तय किया जाएगा कि टिकट किसे दिया जाए। इस बार दावेदारी या परंपरागत सीट को नही देखा जाएगा।
हालांकि मालवा और निमाड़ में इतना ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जितना ग्वालियर और चंबल में दिया जा रहा है। वहां इस बार भी दलबदल और किसानों की कर्जमाफी ही मुद्दा होगा, जिसके आधार पर पार्टी ने उपचुनाव लड़ा था और सिंधिया के कुछ खास सिपाहसालार को हराया था। कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि अगले साल के 6 महीने में ही पार्टी चुनाव लड़ाने वालों को इशारा कर देगी कि वे अपने क्षेत्र में जाकर काम करना शुरू कर देें। हालांकि उसके पहले संगठन की सर्जरी की जाना है, ताकि बेड परफार्मेंस वाले जिलों में अध्यक्षों को बदल दिया जाए। जहां विरोध होगा, वहां भी अध्यक्षों को बदलने की तैयारी है।