खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने शुक्रवार को चीनी के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को मौजूदा 31 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़ाने से इनकार किया है. उन्होंने इसके पीछे वजह बताई कि घरेलू बाजार में कीमतें ज्यादा बनी हुईं हैं. उन्होंने विश्वास जताया है कि अक्टूबर में शुरू हुए मौजूदा मार्केटिंग ईयर में निर्यात 50 से 60 लाख टन को छू सकता है.
इंडियन शूगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) की 87वीं सालाना जनरल बैठक (एजीएम) को संबोधित करते हुए पांडे ने बताया कि पेट्रोल में इथेनॉल को मिलाने की दर 2020-21 के दौरान 8.1 फीसदी पर पहुंच गई है. यह इसके 8.5 फीसदी के लक्ष्य पर है. उन्होंने मौजूदा साल में 10 फीसदी के लक्ष्य को हासिल करने पर जोर दिया है. उन्होंने चीनी मिलों से इथेनॉल के लिए स्टोरेज की क्षमता बनाने के लिए भी कहा, जिससे वे नियमित आधार पर ऑयल मार्केटिंग कंपनियों यानी ओएमसी को ग्रीन फ्यूल की सप्लाई कर सकें.
सरकार ने चीनी उद्योग को बचाने के लिए उठाए कई कदम: पांडे
पांडे ने बताया कि सरकार चीनी उद्योग के बचाव में आई थी, जो कुछ साल पहले लिक्विडिटी के मामले का सामना कर रही थी. जिसके पीछे की वजह सरप्लस उत्पादन और कीमतों का घटना था. उन्होंने कहा कि उन्होंने देखा है कि पिछले पांच-छह सालों में डायरेक्ट एक्सपोर्ट सपोर्ट करीब 13,000 करोड़ रुपये पर रहा है, जो सीधे इंडस्ट्री के लिए है. और मामला यहां खत्म नहीं होता है.
उन्होंने आगे कहा कि सरकार की ओर से बफर स्टॉक का समर्थन भी दिया जा रहा था. जब कीमतें गिर रही हैं, तो मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) का कॉन्सेप्ट गिरती कीमतों से निपटने के लिए लाया गया. यह भी उस समय उद्योग के लिए बड़ा सपोर्ट था.
अक्टूबर-दिसंबर में निर्यात बढ़ा
इसी के फलस्वरूप, पांडे ने कहा कि 2020-21 मार्केटिंग ईयर यानी अक्टूबर-दिसंबर में निर्यात बढ़कर 70 लाख टन के करीब पहुंच गया. यह 2017-18 में करीब 6.3 लाख टन पर रहा था. मौजूदा 2021-22 सीजन में, सचिव ने कहा कि निर्यात के लिए करीब 35 लाख टन चीनी को रख लिया गया है. ब्राजील में उत्पादन कम होगा.
पांडे ने इवेंट में कहा कि हमें इस साल 50 से 60 लाख टन के निर्यात को छू लेना चाहिए. उन्होंने वैश्विक बाजार की जरूरत के मुताबिक भारत के चीनी के उत्पादन को संतुलित करने पर भी जोर दिया. 2020-21 के दौरान करीब 20 लाख टन चीनी इथेनॉल के उत्पादन के लिए डायवर्ट की गई. और इस संख्या के इस साल बढ़कर 35 लाख टन पर पहुंचने की उम्मीद है.