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विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फॉसी ने कहा- क्लीनिकल ट्रायल में भारतीय जांचकर्ताओं को शामिल करने का इच्छुक

शीर्ष अमेरिकी संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फॉसी ने कहा कि उनका देश कोविड-19 चिकित्सा विधि की सुरक्षा व असर के आकलन के लिए वैश्विक क्लीनिकल ट्रायल में भारतीय जांचकर्ताओं को शामिल करने के लिए इच्छुक है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी संक्रामक रोग संस्थान का भारतीय निकायों के साथ काम करने का लंबा इतिहास रहा है। डॉ. फॉसी ने कहा, लंबे समय से चले आ रहे भारत-अमेरिका टीका कार्य कार्यक्रम के तहत हम लोग सार्स-सीओवी-2 टीके से संबंधित अनुसंधान पर भारत के साथ काम जारी रखेंगे। हम वैश्विक क्लीनिकल ट्रायल में भारतीय जांचकर्ताओं को भी शामिल करने के लिए इच्छुक हैं। एनआईएच और भारत के जैवप्रौद्योगिकी विभाग के साथ भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने पहले भी महत्वपूर्ण वैज्ञानिक एवं जनस्वास्थ्य संबंधी खोज में मदद की है।

डॉ. फॉसी ने कहा, मुझे भरोसा है कि वे भविष्य में भी इसे जारी रखेंगे क्योंकि वैश्विक वैज्ञानिक ज्ञान के क्षेत्र में भारत के योगदान से हम सभी परिचित हैं। सरकार के मजबूत समर्थन और व्यापक बायोफार्मा निजी क्षेत्र के सहयोग से इसी ज्ञान की बदौलत कोविड-19 रोकथाम और देखभाल के लिए समाधान प्रदान किया जा रहा है।

डॉ. फॉसी ने चीन से मांगे वुहान लैब के नौ कामगारों के मेडिकल रिकॉर्ड

राष्ट्रपति जो बाइडन के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एंथनी फॉसी ने चीन से नौ कामगारों के मेडिकल रिकॉर्ड जारी करने को कहा है। फाइनेंशियल टाइम्स के मुताबिक, डॉ. फॉसी का अनुमान है कि इन लोगों की बीमारियां इस बात का महत्वपूर्ण सुराग दे सकती हैं कि क्या वाकई में कोविड-19 पहली बार लैब से लीक हुआ और फिर पूरी दुनिया में फैला।

रिपोर्ट में डॉ. फाउची के हवाले से कहा गया, मैं उन तीन लोगों के मेडिकल रिकॉर्ड देखना चाहूंगा, जिनके 2019 में बीमार होने की जानकारी मिली है। उन्होंने पूछा, क्या वे वास्तव में बीमार हो गए थे, और यदि हां, तो वे किस बीमारी की चपेट में आए थे? इन तीन लोगों के अलावा माइनिंग में काम करने वाले वे लोग जो सालों पहले बीमार हुए थे उनके मेडिकल रिकॉर्ड क्या कहते हैं यह भी जानना जरूरी है। क्या उन लोगों में एक या एक से ज्यादा वायरस थे? वो क्या था? ऐसा बिल्कुल माना जा सकता है कि सॉर्स कोव-2 की उत्पत्ति उस गुफा में हुई थी और फिर वो या तो वहां से प्राकृतिक रूप से फैला है या फिर लैब के जरिए।

डॉ. फॉसी ने बताया कि ये रिकॉर्ड उस घातक बीमारी की उत्पत्ति पर चल रही बहस को सुलझाने में मदद कर सकते हैं, जिसने दुनिया भर में 35 लाख से ज्यादा लोगों की जान ले ली है।

भारत बन सकता है गेम चेंजर

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा है कि यदि भारत कोविड-19 टीके का उत्पादन बढ़ाता है तो वह सीमाओं के पार जाकर वैश्विक रूप से एक गेम चेंजर की भूमिका निभा सकता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने बताया कि राष्ट्रपति के मुताबिक ये हमारे लिए भी बेहद जरूरी है क्योंकि भारत कोरोना महामारी से काफी प्रभावित हुआ है। इसलिए हम चाहते हैं कि भारत हर हाल में टीक उत्पादन बढ़ाए।

राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि वो अपने हर संबोधन में इस बात का जिक्र करते हैं कि भारत में वह क्षमता मौजूद है कि वह गेम चेंजर बन सके। प्रवक्ता के मुताबिक, राष्ट्रपति ने क्वाड बैठक में जो बातें कही गई थीं उनका भी जिक्र किया है। बैठक में भारत समेत ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका ने हिस्सा लिया था। प्राइस ने कहा कि पूरा बाइडन प्रशासन इसे लेकर गंभीर है। विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन भी कह चुके हैं कि भारत को जरूरत के हिसाब से 50 करोड़ डॉलर की मदद दी जा सकती है.

अमेरिकी टीके पाने वाला प्रमुख देश होगा भारत : राजदूत संधू

राष्ट्रपति जो बाइडन ने दुनियाभर के कई देशों को कोविड-19 टीकों की ढाई करोड़ खुराक भेजने के अपने प्रशासन के फैसले की घोषणा की है और भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने कहा कि अमेरिकी टीका पाने वालों में भारत शामिल होगा। अमेरिका में इस्तेमाल नहीं हुई टीके की ढाई करोड़ खुराकों में से 1.9 करोड़ खुराकें दक्षिण पूर्व एशिया तथा अफ्रीका के देशों को दी जाएंगी। जबकि करीब 70 लाख खुराक एशिया में भारत, नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका, अफगानिस्तान, मालदीव, मलेशिया, फिलीपींस, वियतनाम, इंडोनेशिया, थाइलैंड, लाओस, पापुआ न्यू गिनी, ताइवान और प्रशांत द्वीपीय क्षेत्रों के लिए दी जाएंगी।

भारत ने जरूरत के वक्त की थी मदद, उसे टीकों का एक हिस्सा दें : अमेरिकी सांसद

अमेरिकी संसद में बहुमत के नेता चक शूमर ने राष्ट्रपति जो बाइडन से कोविड-19 रोधी आठ करोड़ टीकों में से एक हिस्सा भारत को देने का अनुरोध किया है। बाइडन को लिखे पत्र में शूमर ने कहा कि भारत ने निजी सुरक्षा उपकरण भेजकर जरूरत के वक्त अमेरिका की मदद की थी। अब भारत के लोगों की मदद करने का वक्त है। उन्होंने कहा, हमारे पास अपने लोगों की रक्षा करने के लिए पर्याप्त टीके हैं और वह दूसरे देशों को एस्ट्राजेनेका तथा अन्य टीके भेज सकता है।