आंध्र प्रदेश में विशाखापत्तनम के आर आर वेंकटपुरम गांव स्थित एलजी पॉलिमर रसायन संयंत्र में गुरूवार तड़के जहरीली गैस रिसने की घटना के बाद इलाके का दृश्य हृदयविदारक नजर आया जब महिलाओं तथा बच्चों समेत काफी संख्या मे लोगों के साथ ही पशु-पक्षी अचेत पड़े पाये गये और उनके मुंह से झाग निकलता देखा गया। गैस रिसाव की घटना में अब तक 11 लोगों की मौत हो गई है और 800 से ज्यादा लोग अस्पतालों में भर्ती हैं। इसके अलावा भी हजारों लोग इससे प्रभावित है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी ने गुरुवार दोपहर ऐलान किया कि, घटना में मरने वालों के परिवार को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा और वेंटिलेटर पर रहने वालों को 10 लाख रुपये की धनराशि मुआवजे के रूप में दी जाएगी। वहीं, अस्पताल में डिस्चार्ज हो चुके पीड़ितों को एक-एक लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी।
गुरुवार सुबह करीब 3 बजे आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम के आरआर वेंकटपुरम में स्थित विशाखा एलजी पॉलिमर कंपनी में खतरनाक गैस का रिसाव हुआ। गांव की सड़कों पर कई लोग मृत अथवा अचेत पड़े थे। उनके मुंह से झाग निकल रहा था और जीवन के लिए संघर्ष करते दिखाई दिए। बाद में उन सभी को अस्पताल ले जाया गया। तड़के करीब तीन बजे जब संयंत्र से गैस रिसाव शुरू हुआ और उसके बाद पास ही के आरआर वेंकटकपुरम गांव के कुछ लोगों ने सांस फूलने , आंखों में जलन और चक्कर आने की शिकायत महसूस की।
गांव के निवासी वी रामा कृष्णा ने मीडिया को बताया कि जैसे ही कुछ घटित होने का अहसास हुआ , वे सब घरों से बाहर निकल पड़े और सुरक्षित स्थानों की ओर भागने लगे। रामकृष्णा ने कहा कि उन्होंने कई लोगों को बेहोश देखा और उनके मुंह से झाग निकलते देखा। उनमें से कुछ की मृत्यु हो चुकी थी और कुछ की हालत गंभीर नजर आ रही थी। खूंटे से बंधे मवेशियों , कुछ भैंसों के अलावा कुत्तों, सुअरों और सैकड़ों की संख्या में पक्षी भी अचेत पड़े थे।
के जी अस्पताल और अन्य अस्पतालों में भी अफरातफरी का माहौल था , जहां माता-पिता अपने बच्चों की तलाश करते और चीत्कार करते दिखे। जहरीली गैस के असर का अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि संयंत्र के आसपास के क्षेत्रों के पेड़-पौधे भी मुरझा गये। गांव के एक निवासी एस अप्पा राव ने कहा कि गैस रिसाव की इस घटना ने उस भोपाल गैस त्रासदी की याद दिला दी , जिसमें हजारों की संख्या में लोगों की जानें गयी थी।
संयंत्र की स्थापना 1970 में की गयी थी , तब यह एक उजाड़ इलाका था, उस समय ‘हिन्दुस्तान पाॅलिमर’ के नाम से संयंत्र विजय माल्या के स्वामित्व में था। बाद में 1997 में दक्षिण कोरियाई कंपनी एलजी पॉलीमर्स ने संयंत्र को अपने अधिग्रहण में ले लिया।