श्रीलंका इन दिनों आर्थिक और राजनीतिक संकट से गुजर रहा है. इस बीच बड़ा डेवलपमेंट सामने आया है. UNP नेता रानिल विक्रमसिंघे आज शाम 6.30 बजे श्रीलंका के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे. उनकी पार्टी ने इस बात की पुष्टि की है. वे 2018-2019 में भी श्रीलंका के प्रधानमंत्री का पद संभाल चुके हैं. 2019 में रानिल ने अपनी ही पार्टी के दबाव के चलते पीएम पद से इस्तीफा दे दिया था.
राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने ऐलान किया था कि वह एक हफ्ते में नए प्रधानमंत्री के नाम का ऐलान करेंगे. उन्होंने कहा था- अगले एक हफ्ते में ऐसे प्रधानमंत्री को नियुक्त करूंगा जिसके पास बहुमत हो और लोग जिसमें भरोसा करते हों. मैं मंत्रियों की नई कैबिनेट भी नियुक्त करूंगा. इसके साथ ही उन्होंने लोगों से नफरत फैलाने से बचने की अपील की.
विपक्ष नए पीएम के नाम को लेकर दो धड़ों में बंट गया है. समागी जन बलवेगया (एसजेबी) के नेता सजित प्रेमदासा के संकटग्रस्त राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे की अंतरिम सरकार में प्रधानमंत्री बनने के इच्छुक नहीं होने के कारण मुख्य विपक्षी दल एसजेबी की प्रधानमंत्री चुनने को लेकर दूसरे पार्टियों से मतभेद की खबरें सामने आ रही हैं.
कौन हैं रानिल विक्रमसिंघे?
रानिल विक्रमसिंघे 1994 से यूनाइटेड नेशनल पार्टी के प्रमुख रहे हैं. वह अब तक 4 बार श्रीलंका के पीएम रहे चुके हैं. महिंदा के 2020 में पीएम बनने से पहले भी रानिल ही श्रीलंका के पीएम थे. 73 साल के रानिल ने वकालत की पढ़ाई की हुई है. 70 के दशक में रानिल ने राजनीति में कदम रखा और पहली बार 1977 में सांसद चुने गए थे. 1993 में पहली बार पीएम बनने से पहले रानिल उप विदेश मंत्री, युवा और रोजगार मंत्री सहित कई और मंत्रालय संभाल चुके हैं.
राजपक्षे परिवार से अच्छे हैं रिश्ते
नए पीएम को नियुक्त करने से पहले गोटबया राजपक्षे से साफ कहा था कि वो युवा मंत्रिमंडल नियुक्त करेंगे, जिसमें राजपक्षे परिवार का एक भी सदस्य नहीं होगा. हालांकि, अलग पार्टी में रहते हुए भी रानिल विक्रमसिंघे को श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और महिंदा राजपक्षे का करीबी बताया जाता है. शायद इसी वजह से गोटबया राजपक्षे उन्हें नया पीएम बनाया.
पद छोड़ने से फिर किया इनकार
संकट में घिरे श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे पद छोड़ने से इनकार कर चुके हैं. हालांकि, गुरुवार को ट्वीट्स के जरिए उन्होंने श्रीलंका में शांति लाने के तरीकों का जिक्र किया. इसमें उन्होंने संविधान में संशोधन के साथ विपक्ष के साथ अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा करने का भी वादा किया.
राष्ट्रपति गोटबाया ने अपने चार ट्वीट्स की कड़ी में श्रीलंका में फैली अशांति को खत्म करने के तरीके सुझाए हैं. उन्होंने कहा, “नई सरकार बनाने के कदम उठाए जाएंगे, ताकि इस देश को अराजकता की गर्त में जाने बचाया जाए और सरकार के रुके हुए कार्यों को आगे बढ़ाना सुनिश्चित किया जा सके. इसी हफ्ते एक प्रधानमंत्री की नियुक्ति होगी, जिसके पास न सिर्फ संसद में बहुमत होगा, बल्कि वह लोगों का भरोसा भी जीत सकेगा.”