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यमुना फिर हुई प्रदूषित, निकल रहा ज़हरीला झाग

पिछले साल कोरोना वायरस महामारी के चलते देश में लॉकडाउन लगा दिया गया था। देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में लॉकडाउन लगा था। जिसके बाद प्राकृतिक चीजें जैसे नदिया, झरने, आसमान आदि बिलकुल साफ़ हो गए थे। लेकिन अब धीरे धीरे फिर से प्रकृति पर ठीक वैसा ही असर पड़ने लगा है जैसा कि पहले था। राजधानी दिल्ली में बहने वाली यमुना नदी एक बार फिर से दूषित हो चुकी है। कालिंदी कुंज के पास शनिवार को यमुना नदी की सतह पर जहरीले झाग तैरते नजर आये। यमुना के पानी में प्रदूषक तत्वों की मात्रा बढ़ने को लेकर दिल्ली सरकार ने कई बड़े कदम उठाये साथ ही चिंता जता चुकी है, मगर अब तक इस परेशानी पर काबू नहीं पाया जा सका है। ऐसा माना जाता है कि हरियाणा की फैक्ट्रियों से निकलने वाली पानी से भी यमुना नदी में प्रदूषक तत्व का स्तर बढ़ जाता है।

मिली जानकारी के मुताबिक, बीते सप्ताह दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने कहा था कि गंभीर जल संकट पर काबू पाने के लिए जल बोर्ड ने यमुना में अनुपचारित प्रदूषकों को बहने से रोकने और दिल्ली को पर्याप्त पानी देने के लिए हरियाणा सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

राघव चड्ढ़ा ने हरियाणा द्वारा राजधानी दिल्ली के हिस्से के कच्चे पानी की आपूर्ति ‌में कमी और यमुना में बढ़ते अमोनिया के मुद्दे को लेकर केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से हस्तक्षेप करने की मांग की गई थी। उन्होंने बताया कि जल संसाधन मंत्री दिल्ली के हिस्से के पानी को जारी करने और अमोनिया के बढ़ते स्तर पर रोक लगाने के लिए हरियाणा सरकार को निर्देश जारी कर दें।

राघव चड्ढ़ा ने आरोप लगाया था कि हरियाणा सरकार के कुछ न करने के कारण यमुना में बड़ी मात्रा में फैक्ट्रियों का कचरा डाला जा रहा है जिससे यमुना में अमोनिया का स्तर बढ़ रहा है और इससे राजधानी दिल्ली के वाटर प्रोडक्शन में काफी कमी आती है। इस बात की पुष्टि हमारे लैब में ‌चैक किए गए वाटर सैंपल से हुई है। यही नहीं दिल्ली जल बोर्ड इस मुद्दे को लेकर लगातार हरियाणा सरकार के साथ संपर्क साधे हुए है, मगर इसका कोई लाभ नहीं हुआ।

पिछले साल, एनजीटी की तरफ से नियुक्त यमुना निगरानी समिति (वाईएमसी) ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) और औद्योगिक आयुक्त से यमुना नदी में अचानक झाग बनने के पीछे की वजह पर रिपोर्ट मांगी थी। एनजीटी की दो सदस्यीय समिति ने सीपीसीबी और डीपीसीसी अध्यक्ष संजय खिरवार और औद्योगिक आयुक्त विकास आनंद से यमुना नदी में झाग उत्पन्न होने के स्रोत के कारणों का मालूम करने के लिए तत्काल कदम उठाने और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा था।