बिहार (Bihar) के पूर्णिया जिले की रुपौली विधानसभा सीट (Rupauli Assembly Seat) पर हुए उपचुनाव (By-elections) में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की प्रत्याशी बीमा भारती (Bima Bharti) को करारी हार का सामना करना पड़ा। शनिवार को हुई मतगणना में रुपौली से निर्दलीय उम्मीदवार शंकर सिंह (Shankar Singh) ने बाजी मारी। दूसरे नंबर पर जेडीयू के कलाधर मंडल रहे। वहीं, महागठबंधन यानी इंडिया अलायंस के समर्थन में लड़ीं आरजेडी की बीमा भारती तीसरे नंबर पर रहीं। पिछले महीने लोकसभा चुनाव में भी पूर्णिया सीट से आरजेडी के टिकट पर लड़ीं बीमा भारती को करारी हार मिली थी। निर्दलीय पप्पू यादव ने जीत दर्ज करते हुए उन्हें तीसरे नंबर पर धकेल दिया था।
बीमा भारती को महज डेढ़ महीने के भीतर यह दूसरा झटका लगा है। दरअसल, बीमा ने इसी साल लोकसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी छोड़कर लालू एवं तेजस्वी यादव की आरजेडी का दामन थाम लिया था। उस वक्त वह रुपौली से जेडीयू की विधायक थीं। आरजेडी में जाने के बाद तेजस्वी ने उन्हें पूर्णिया से लोकसभा का चुनाव लड़ाया। मगर कांग्रेस के बागी पप्पू यादव की वजह से बीमा भारती को करारी हार मिली। पूर्णिया लोकसभा सीट पर वह मुख्य मुकाबले में ही नहीं रहीं और तीसरे नंबर पर आईं।
पूर्णिया हारने के बाद हुए रुपौली के उपचुनाव में आरजेडी ने दोबारा बीमा भारती पर ही भरोसा जताया। मगर पांच बार की विधायक रहीं बीमा को यहां से भी उपचुनाव में करारी हार मिली। निर्दलीय शंकर सिंह ने बीमा भारती की लुटिया डुबो दी और उन्हें तीसरे नंबर पर धकेल दिया। शनिवार को हुई मतगणना में निर्दलीय शंकर सिंह को सर्वाधिक 67779 वोट मिले, जबकि जेडीयू के कलाधर मंडल 59568 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे। आरजेडी की बीमा भारती महज 30108 वोट ही बटोर पाईं।
बताया जा रहा है कि इस बार रुपौली में जातीय समीकरण महागठबंधन के पक्ष में नहीं रहे। इसी कारण बीमा भारती को मुंह की खानी पड़ी। खासकर मुस्लिम वोटरों ने आरजेडी को वोट न देकर इस बार शंकर सिंह के पक्ष में मतदान किया। माना जा रहा है कि मुस्लिम वोटर आरजेडी से इसलिए नाराज थे कि लालू-तेजस्वी की पार्टी ने लोकसभा चुनाव में पूर्णिया से पप्पू यादव को समर्थन न देकर बीमा भारती को लड़वाया था। साथ ही पिछली बार रुपौली से महागठबंधन के खाते से यह सीट सीपीआई ने लड़ी थी। सीपीआई के कैंडिडेट विकास चंद्र मंडल 41 हजार से ज्यादा वोट लेकर आए थे, लेकिन बीमा भारती को इस बार लेफ्ट के वोटबैंक का फायदा भी नहीं मिल पाया।
रुपौली उपचुनाव की वोटिंग से पहले भवानीपुर के गोपाल यादुका मर्डर केस का मुद्दा भी काफी छाया रहा। इस हत्याकांड में पुलिस ने बीमा भारती के पति अवधेश मंडल और बेटे को आरोपी बनाया है। पुलिस ने अवधेश मंडल के घर पहुंचकर उनकी फरारी का पोस्टर भी चस्पा किया था। माना जा रहा है कि इस मुद्दे पर भी जनता ने बीमा भारती से मुंह मोड़ लिया।
निर्दलीय शंकर सिंह क्षेत्र के पुराने बाहुबली और दिग्गज नेता हैं। वे 2005 में लोजपा के टिकट से चुनाव जीतकर विधायक भी रह चुके हैं। इसके बाद उन्होंने लगातार रुपौली से विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार मिली। इस बार उनके लिए सहानुभूति की लहर भी देखने को मिली, जिसका फायदा उन्हें उपचुनाव में हुआ। शंकर सिंह राजपूत समुदाय से आते हैं, लेकिन उन्हें एनडीए और इंडिया दोनों ही गठबंधनों के कोर वोटबैंक का समर्थन मिला।