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दुनिया में समाज का गौरव बढ़ा रही हैं बेटियां

देश की बेटियां पूरे विश्व में समाज का, भारत का गौरव बढ़ा रही हैं। ओलंपिक में भी बेटियों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन से मेडल जीता और पूरे देश को गौरवान्वित किया। बेटियों को जब भी अवसर मिला है वह बेटों से आगे निकली हैं। यह बातें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बृहस्पतिवार को बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय (बीबीएयू) के नौवें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि कहीं। उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह में भी बेटियों ने सबसे ज्यादा पदक अर्जित किया है। इस परिवर्तन को स्वस्थ समाज की तरफ बढ़ते हुए कदम के रूप में देखा जाना चाहिए। इस अवसर पर उन्होंने सात मेधावी छात्रों को अपने हाथों से मेडल प्रदान कर सम्मानित किया। दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति की पत्नी सविता कोविंद, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, चांसलर प्रकाश चंद्र बरतुनिया व कुलपति प्रो. संजय सिंह मंच पर उपस्थित रहे। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने सावित्री बाई फुले महिला छात्रावास का शिलान्यास करते हुए कहा कि मैं खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। उन्होंने 125 वर्ष पहले बेटियों की शिक्षा के लिए क्रांतिकारी कदम उठाए जिसका परिणाम अब सामने है। उन्होंने वर्तमान में बेटियों की उपलब्धि को बाबा साहेब केसपनों को सच होता बताया।

नौकरी पाने वाले नहीं देने वाले बनें युवा

राष्ट्रपति ने छात्रों को उद्यमिता की तरफ बढ़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि उन्हें नौकरी पाने वाले न बनकर नौकरी देने वाले बनने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब उद्यमिता और आत्मनिर्भरता के पक्षधर थे। इस दिशा में विश्वविद्यालय के इनक्यूबेशन सेंटर के स्थापना की उन्होंने प्रशंसा भी की। उन्होंने कहा कि देश में स्टार्टअप का अच्छा इकोसिस्ट है। 100 से अधिक एक बिलियन वाले स्टार्टअप हैं। उन्होंने कहा कि आज हर क्षेत्र में बदलाव हो रहे हैं। देष के युवाओं को खुद को तैयार रहने की सलाह दी। उन्होंने छात्रों को विश्वविद्यालय की मूल भावना प्रज्ञा, शील, करुणा के आदर्श को जीवन में लागू करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि आज देश में सर्वाधिक संख्या 25 साल से कम आयु वालों की है। भारत युवाओं को देश हो चुका है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वर्ष 2047 में जब हम आजादी के 100 वर्ष मना रहे हो तब भारत भेदभाव मुक्त, न्याय, समता, बंधुत्व में खुद को ढाल चुका हो। इसके लिए अभी से संकल्पबद्घ होकर काम करना है। यही बाबा साहेब का भी सपना था, हमें उनके सपने को पूरा करना है।

दीक्षांत में दूसरी बार आया

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि इससे पहले भी 2017 में बीबीएयू के दीक्षांत समारोह में आ चुका हूं। उन्होंने कहा कि एकमात्र विवि है जिसके दीक्षांत समारोह में मैं दूसरी बार आया हूं। विवि वंचित वर्ग के छात्रों के समावेशी विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। विश्वविद्यालय में इस वर्ग के छात्रों के लिए 50 फीसदी सीटें आरक्षित हैं। जिससे उच्च शिक्षा के अवसर बढ़े हैं। इस वर्ग के छात्रों के उत्कृष्ट प्रदर्शन पर अलग से पदक प्रदान करके प्रोत्साहित करना विवि का एक सराहनीय कदम है।

एनईपी बन सकती है देश के शिक्षा की महाशक्ति

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति युवाओं की वर्तमान आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को पूरी करने में सहायक सिद्घ होगी। उन्होंने प्रदेश सरकार द्वारा इस दिशा में उठाए गए कदमों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा एनईपी देश के लिए एक शिक्षा महाशक्ति बन सकती है। यह 21वीं सदी की जरूरत के अनुरूप और युवाओं को सक्षम बनाने का काम करेगी।