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तारों को निगल रहा सबसे बड़ा न्यूट्रॉन, पहली बार खोजा गया यह तारा सूर्य से भी 2.34 गुना भारी

अंतरिक्ष में अब तक का सबसे बड़ा न्यूट्रॉन तारा मिला है। यह साथी तारों को निगल रहा है। सूर्य से 2.34 गुना वजनी यह तारा बहुत तेजी से घूम रहा है। घूमते वक्त इसकी छवि कंपन जैसी दिखती है। साथी तारों को निगलने के कारण वैज्ञानिकों ने इसे ‘ब्लैक विडो’ का भी नाम दिया है। साथी तारों को निगलने के चलते यह अब तक का सबसे भारी न्यूट्रॉन तारा बन गया है। इसके और अधिक बढ़ने की संभावना है।

ऐसे में वैज्ञानिक मानते हैं कि यह बहुत ज्यादा भारी होकर अपने ही भार से नष्ट होकर एक ब्लैक होल बन सकता है। न्यूट्रॉन तारों का आकार करीब 20 किलोमीटर तक फैला होता है। स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी में शोधकर्ता रोजर रोमानी ने पीएसआर जे0952-0607 नामक न्यूट्रॉन तारे की खोज को ऐतिहासिक उपलब्धि बताया है।

पल्सर श्रेणी का तारा
पल्सर अंतरिक्ष में बहुत तेज गति से चलने वाले उन न्यूट्रॉन तारों को कहा जाता है, जो किसी विशाल तारे में हुए विस्फोट के बाद बनते हैं। किसी तारे से पल्सर बनने के लिए उस तारे को हमारे सूर्य से 10 से 20 गुना तक बड़ा होना जरूरी है।

धरती से 20 हजार प्रकाश वर्ष दूर
यह धरती से 20 हजार प्रकाश वर्ष दूर स्थित है और 1.41 मिली सेकेंड की रफ्तार से घूमता है। यह अब तक के अन्य न्यूट्रॉन तारों से अधिक रफ्तार है। ‘पीएसआर जे0952-0607’ दक्षिण में सेक्सटन तारामंडल में मौजूद है। 2016 में जब इसका पता लगा था, तब यह पृथ्वी से 3,200-5,700 प्रकाश वर्ष दूर सेक्सटंस नक्षत्र में स्थित था।

रफ्तार से तेज घूम रही पृथ्वी खतरे की घंटी
पृथ्वी सामान्य गति से ज्यादा तेजी से घूम रही है। वैज्ञानिकों ने बताया कि धरती 24 घंटे से 1.50 मिली सेकेंड कम में अपना चक्कर पूरा कर रही है। यह बदलाव कोर की आंतरिक व बाह्य परतों या लगातार जलवायु परिवर्तन के चलते हो रहे हैं। ऐसा जारी रहा तो एक नए नेगेटिव लीप सेकंड की जरूरत पड़ सकती है, ताकि घड़ियों की गति सूर्य के हिसाब से चलती रहे। आशंका है कि इससे स्मार्टफोन, कंप्यूटर और अन्य संचार प्रणाली में गड़बड़ी पैदा हो सकती है।