चीन में उइगरों के अधिकारों के कथित हनन और उनके शोषण के आरोपों को लेकर लंदन में शुक्रवार को एक जन न्यायाधिकरण (पीपुल्स ट्रिब्यूनल) की शुरुआत की गई। गवाह ने आरोप लगाए हैं कि हिरासत शिविरों में उइगरों को नियमित रूप से अपमानित और प्रताड़ित किया जाता है। अध्यक्ष जेफ्री नाइस ने कहा कि 36 से अधिक गवाह चार दिनों की सुनवाई के दौरान चीनी अधिकारियों के खिलाफ ”गंभीर” आरोपों को सामने रखेंगे। हालांकि ब्रिटिश सरकार का न्यायाधिकरण को समर्थन हासिल नहीं है और उसके पास चीन पर पाबंदी लगाने या दंडित करने का कोई अधिकार नहीं है। लेकिन आयोजकों को उम्मीद है कि सार्वजनिक रूप से सबूत देने की प्रक्रिया से उइगरों के खिलाफ कथित दुर्व्यवहार से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई संभव हो सकेगी। उइगर एक बड़ा मुस्लिम जातीय समूह है। नाइस ने कहा कि इस मंच के जरिये सबूतों को एकत्र किया जायेगा और उइगरों के कथित शोषण को लेकर लोगों से बात की जायेगी। शुक्रवार को गवाही देने वाली पहली गवाह शिक्षक कलबिनुर सिद्दीक ने कहा कि शिनजियांग में पुरुषों के लिए एक शिविर में गार्ड नियमित रूप से कैदियों को अपमानित करते थे, जहां उन्होंने 2016 में मंदारिन-भाषा सिखाई थीं।
उन्होंने एक दुभाषिये के माध्यम से कहा, ”शिविर में गार्ड बंदियों के साथ इंसानों जैसा व्यवहार नहीं करते थे। उनके साथ कुत्तों से भी बदतर व्यवहार किया जाता था।” नाइस ने कहा कि चीन को इसमें भाग लेने के लिए कहा गया था, लेकिन उसके दूतावास ने ”भेजे गए पत्रों को न तो स्वीकार किया और न ही जवाब दिया।” लंदन में चीनी दूतावास ने प्रतिक्रिया के अनुरोधों पर कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन चीन में अधिकारियों ने कहा है कि न्यायाधिकरण की स्थापना ”चीन विरोधी ताकतों” ने झूठ फैलाने के लिए की है। नाइस ने कहा कि ब्रिटेन सहित पश्चिमी सरकारों ने भी इसमें शामिल होने से इंकार कर दिया है।