पिछले कुछ महीनों में लगातार महंगाई (Inflation) में गिरावट को देखते हुए आने वाले महीनों में कर्ज पर ब्याज दरों में कमी हो सकती है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस कारोबारी साल 2023-24 की चौथी तिमाही तक रिजर्व बैंक नीतिगत दरों यानी रेपो रेट (Repo Rate) में कमी कर सकता है। उसके बाद बैंकों की तरफ से भी ब्याज घटाने की कवायद हो सकती है।
आर्थिक मामलों (economic affairs) का पूर्वानुमान लगाने वाली वैश्विक कंपनी ऑक्सफोर्ड इकनॉमिक्स (Oxford Economics Global Company) ने यह अनुमान लगाया है। उसके मुताबिक कई ऐसे कारक हैं जिनके चलते केंद्रीय बैंक अपने रुख को अधिक उदार कर सकता है। ऑक्सफोर्ड इकनॉमिक्स ने कहा कि महंगाई पहले ही नरम हो रही है और उपभोक्ता महंगाई को लेकर अनुमान भी लगातार नीचे आ रहा है। ऐसे में अब ये अंदाजा लग रहा है कि 2023 की चौथी तिमाही में रिजर्व बैंक की ओर से पहली ब्याज दर कटौती हो सकती है।
ऑक्सफोर्ड इकनॉमिक्स ने ये भी कहा है कि मिश्रित कारकों की वजह से रिजर्व बैंक अपने रुख में बदलाव ला सकता है और नीतिगत मोर्चे पर उदार हो सकता है। उसने कहा कि मौद्रिक नीति समिति सबसे पहले यह देखेगी कि मुद्रास्फीति उसके लक्ष्य के मध्य में स्थिर हो रही है। उसके बाद वह अपने रुख में बदलाव लाएगी। ऑक्सफोर्ड इकनॉमिक्स के मुताबिक पीएमआई यानी परचेजिंग मैनेजर इंडेक्स आंकड़े, जीएसटी संग्रह जैसे आर्थिक संकेतक यह दर्शाते हैं कि भारत में गतिविधियां अभी मजबूत हैं।
हालांकि रिजर्व बैंक की तरफ से कोई भी फैसला लेने में मॉनसून का भी योगदान रहेगा। अगर इस साल अल नीनो की आशंका को देखते हुए बारिश का सिलसिला असमान रहा और उससे फसलें प्रभावित हुईं तो अर्थव्यवस्था में बड़ा फेरबदल देखने को मिल सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे में अगर कहीं महंगाई बढ़ गई तो हालात बदल सकते हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति (retail inflation) को चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) के दायरे में रखने का लक्ष्य मिला हुआ है। अप्रैल में रिजर्व बैंक ने सभी को हैरान करते हुए रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा था।
अन्य विशेषज्ञ भी जता चुके हैं अनुमान
इससे पहले एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भी रेपो दर में कटौती किए जाने का अनुमान जताया था। उसका मानना है कि भारत में मुख्य महंगाई में क्रमिक आधार पर लगातार कमी आ रही है। ऐसे में 6.25 फीसद के ऊंचे स्तर तक पहुंच चुकी नीतिगत दर में और वृद्धि की जरूरत सीमित रह गई है। वहीं, जापानी ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा ने कहा था कि वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.5 फीसद रहने का रिजर्व बैंक का अनुमान ‘बहुत आशावादी’ है और अक्टूबर से ब्याज दर में कटौती का सिलसिला शुरू हो सकता है। अन्य क्रेडिट एजेंसी क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी के अनुसार रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में पहले जो बढ़ोतरी की उससे 2023-24 में महंगाई कम होने के साथ विकास दर भी घटने के आसार हैं। इसलिए वित्त वर्ष के अंत तक रिजर्व बैंक पॉलिसी दरों में कटौती कर सकता है
रेपो दर में 2.50 फीसद की वृद्धि
आरबीआई ने महंगाई में तेज उछाल को काबू में लाने के लिए रेपो रेट में बढ़ोतरी का सिलसिला मई 2022 महीने से शुरू किया था। मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच कुल छह बार रेपो दर में 2.50 का इजाफा किया जा चुका है। अभी रेपो दर 6.50 फीसद पर बनी हुई है। इसके बाद बैंकों ने भी अपने कर्ज की ब्याज दरों में वृद्धि की जिससे आवास और वाहन समेत सभी तरह के कर्ज महंगे हो गए। इससे लोगों की ईएमआई में भी लगातार वृद्धि होती रही। हालांकि अप्रैल में हुई मौद्रिक समीक्षा बैठक में रेपो दर में वृद्धि नहीं की गई थी।
ये कारक प्रमुख रहेंगे
– थोक और खुदरा महंगाई में लगातार गिरावट
– कच्चे तेल की कीमतों में कमी
– जीएसटी संग्रह में रिकॉर्ड उछाल
– जीडीपी दर के छह फीसद से ऊपर रहने का अनुमान
– कई आर्थिक मोर्चो पर लगातार बेहतर प्रदर्शन
– अमेरिका में ऋण संकट टला
छह बार में इतनी हुई बढ़ोतरी
रेपो रेट तारीख
6.5 फीसद (+0.25) 8 फरवरी, 2023
6.25 फीसद (+0.35) 7 दिसंबर, 2022
5.90 फीसद (+0.50) 30 सितंबर, 2022
5.40 फीसद (+0.50) 5 अगस्त, 2022
4.90 फीसद (+0.50) 8 जून, 2022
4.40 फीसद (+0.40) 4 मई, 2022
4.0 फीसद 9 अक्टूबर, 2020