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‘गौ हत्या करने वाला नरक में सड़ने लायक’, कोर्ट ने कहा- केंद्र जल्द बनाए कानून

‘हम एक धर्मनिरपेक्ष देश में रह रहे हैं और सभी धर्मों के लिए सम्मान होना चाहिए. हिंदू धर्म में यह विश्वास है कि गाय दैवीय है और प्राकृतिक रूप से लाभकारी है. इसलिए इसकी रक्षा और पूजा की जानी चाहिए.’ यह टिप्पणी इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) की लखनऊ पीठ के जस्टिस शमीम अहमद (Justice Shamim Ahmed) की है. लखनऊ पीठ ने केंद्र सरकार से गाय को ‘संरक्षित राष्ट्रीय पशु’ घोषित करने और गौ हत्या (Cow Slaughter) पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक कानून बनाने को कहा है.

TOI के अनुसार 14 फरवरी को जस्टिस शमीम अहमद की सिंगल जज की बेंच ने पुराण का हवाला देते हुए कहा ‘जो कोई भी गायों को मारता है या दूसरों को उन्हें मारने की अनुमति देता है, उसे नरक में सड़ने के लायक माना जाता है.’ न्यायमूर्ति शमीम अहमद की एकल पीठ ने यह फैसला बाराबंकी के मोहम्मद अब्दुल खालिक की एक याचिका को 14 फरवरी 2023 को खारिज करते हुए पारित किया, जिसमें याचिकाकर्ता के खिलाफ उत्तर प्रदेश गोवध निवारण अधिनियम, 1955 के संबंध में दर्ज आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने का अनुरोध किया गया था.

कोर्ट ने 14 फरवरी को अपने आदेश में आगे कहा ‘गाय विभिन्न देवी-देवताओं से भी जुड़ी हुई है. खास तौर से भगवान शिव (जिनकी सवारी है, नंदी), भगवान इन्द्र (कामधेनु गाय से जुड़े हैं) भगवान कृष्ण (जो बाल काल में गाय चराते थे) और सामान्य देवी-देवता. किंवदंतियों के अनुसार, गाय समुन्द्रमंथन के दौरान दूध के सागर से प्रकट हुई थी. उसे सप्त ऋषियों को दिया गया और बाद में वह महर्षि वशिष्ठ के पास पहुंचीं.’मालूम हो कि याचिकाकर्ता अब्दुल खालिक ने दलील दी थी कि पुलिस ने बिना किसी सबूत के उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया और इसलिए उसके खिलाफ अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत संख्या -16, बाराबंकी की अदालत में लंबित कार्यवाही को रद्द किया जाना चाहिए. जस्टिस अहमद ने आगे कहा ‘हिंद-यूरोपीय लोग जो ईसा पूर्व दूसरी सहस्राब्दी में भारत आए वे सभी चरवाहे थे. मवेशियों का बहुत आर्थिक महत्व था जो उनके धर्म में भी परिलक्षित होता है. दूधारू गायों का वध पूरी तरह प्रतिबंधित था. यह महाभारत और मनुस्मृति में भी प्रतिबंधित है.’

कोर्ट ने यह भी कहा कि दुधारू गायों को ऋगवेद में ‘सर्वोत्तम’ बताया गया है. गाय से मिलने वाले पदार्थों से पंचगव्य तक बनता है, इसलिए पुराणों में गोदान को सर्वोत्तम कहा गया है. जस्टिस शमीम अहमद ने आगे कहा कि भगवान राम के विवाह में भी गायों को उपहार में देने का वर्णन है. याचिका खारिज करने से पहले पीठ ने कहा कि 19वीं और 20वीं शताब्दी के अंत में भारत में गायों की रक्षा के लिए एक आंदोलन शुरू हुआ, जिसने भारत सरकार से देश में तत्काल प्रभाव से गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए नागरिकों को एकजुट करने का प्रयास किया.