सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें विदेशी आक्रमणकारियों के नाम पर रखे गए सड़कों, शहरों और स्थानों का नाम बदलने के लिए केंद्र सरकार को एक आयोग नियुक्त करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि हिंदू धर्म, कोई धर्म नहीं, बल्कि जीने का तरीका है। न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ और बीवी नागरत्ना ने कहा कि हिंदू धर्म में कोई कट्टरता नहीं है।
पीठ ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय से कहा, गड़े मुर्दे मत उखाड़ो, जो केवल वैमनस्य पैदा करेगा। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और इतिहास को वर्तमान पीढ़ी को परेशान करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इसने कहा, भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, यह एक धर्मनिरपेक्ष मंच है। हमसे संविधान और सभी वर्गों की रक्षा करने की अपेक्षा की जाती है। इस बात पर जोर देते हुए कि हिंदुत्व सिर्फ एक धर्म नहीं जीवन जीने का एक तरीका है, पीठ ने कहा, हमने सभी संस्कृतियों को आत्मसात कर लिया है। आइए इसे इस तरह की याचिकाओं से न तोड़ें। हिंदू धर्म जीवन का एक तरीका है और इसमें कोई कट्टरता नहीं है। आपको या इस अदालत को तबाही मचाने का साधन नहीं बनना चाहिए। याचिकाकर्ता ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को विदेशी आक्रमणकारियों के नाम से रखे गए ऐतिहासिक सांस्कृतिक धार्मिक स्थलों के मूल नामों का पता लगाने के लिए नामकरण आयोग गठित करने का निर्देश देने की मांग की थी।