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कार्बन मुक्त भविष्य के लिए अंधेरे में तीर चला रहा जर्मनी ग्रीन हाइड्रोजन

कार्बन मुक्त भविष्य के लिए जर्मनी ग्रीन हाइड्रोजन को जादुई हथियार मानता है. खासकर उन उद्योगों के लिए जिनका कार्बन उत्सर्जन बहुत ज्यादा है. लेकिन राष्ट्रीय हाइड्रोजन प्लान में चुनाव बाद कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं.जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल की सरकार ने अपने बनाए अंतिम कानूनों में से एक की मई में घोषणा कर सबको चौंका दिया था. अपनी उदासीन पड़ी जलवायु साख को चमकाने की कोशिश में उन्होंने जर्मनी को तय लक्ष्य से पांच साल पहले ही यानी 2045 तक कार्बन न्यूट्रल बनाने की घोषणा की.

बर्लिन मानता है कि डीकार्बनाइजेशन की इस योजना में इलेक्ट्रिक गाड़ियों जैसे सामान्य बदलावों से इतर हाइड्रोजन भी केंद्रीय भूमिका निभाएगा. मैर्केल की सरकार ने जून, 2020 में एक राष्ट्रीय हाइड्रोजन रणनीति प्रस्तुत की, जिसका उद्देश्य “उन सेक्टरों में जलवायु संरक्षण को संभव बनाना था, जहां ऐसा किया जाना कठिन है” जैसे- स्टील निर्माण, निर्माण, हवाई यातायात और जहाजों से होने वाला भारी परिवहन. पर्यावरण मंत्री स्वेन्या शुल्से ने रणनीति पेश करते हुए कहा, “इनमें भी कार्बन न्यूट्रैलिटी “संभव है क्योंकि ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ हल बन सकता है” उन्होंने सिर्फ पवन, सौर ऊर्जा और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा से हाइड्रोजन बनाने के जर्मन लक्ष्य के संदर्भ में यह बात कही.

इस योजना में हाइड्रोजन के विश्वसनीय, किफायती और टिकाऊ उत्पादन और इसके परिवहन और भंडारण के लिए एक गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाना है. जिसके लिए सरकार शुरुआत में 7 बिलियन यूरो या 8.2 बिलियन डॉलर की मदद देगी और अतिरिक्त 2 बिलियन यूरो अंतरराष्ट्रीय भागीदारी के जरिए विदेशों से हाइड्रोजन के आयात को सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षित रखे जाएंगे.

दरअसल सरकार ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन उपकरण लाने की कोशिश कर रही है, जिससे 2030 तक 5 गीगावाट क्षमता और साल 2040 तक और 5 गीगावाट अतिरिक्त क्षमता हासिल की जा सके. आसान भाषा में कहें तो 5 गीगावाट क्षमता से ग्रीन हाइड्रोजन पांच परमाणु रिएक्टर की संयुक्त शक्ति के बराबर ऊर्जा पैदा करता है, और यह लिथुआनिया की साल भर की ऊर्जा जरूरत के बराबर है. पर्यावरण सुरक्षा के पाले में सभी राजनीतिक दल इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि जर्मनी की ग्रीन पार्टी कार्बन उत्सर्जन मुक्त इस अभियान को दिल खोलकर समर्थन दे रही है.