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उपचुनाव की तैयारी, UP में हार के बाद अब ऐसा होगा BJP का रोडमैप

उत्तर प्रदेश में 2024 के लोकसभा चुनाव में मिली हार से सबक लेते हुए बीजेपी अब दोबारा से खड़े होने की कवायद में जुट गई है. बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में हार पर मंथन और चिंतन से ज्यादा पार्टी को फिर से अपराजेय बनाने की दिशा पर फैसला किया गया. बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर सीएम योगी तक ने हताश कार्यकर्ताओं में जोश भरने का दांव चलने के साथ खिसके सियासी जनाधार को दोबारा से वापस लाने का भी रोडमैप रखा. यूपी में 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव और 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों के नैरेटिव को काउंटर करने की स्ट्रैटेजी बनाई गई है.

लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सबसे बड़ा झटका यूपी में लगा था, जहां पर पार्टी की लोकसभा सीटें 62 से घटकर 33 पर पहुंच गई है. इतना ही नहीं, पार्टी का वोट शेयर भी साढ़े आठ फीसदी कम हो गया है. अखिलेश यादव और राहुल गांधी की जोड़ी और सपा के पीडीए फॉर्मूले ने बीजेपी के समीकरण को बिगाड़ दिया है. बीजेपी ने जिन दलित और ओबीसी को जोड़कर मजबूत सोशल इंजीनियरिंग बनाई थी, उसमें विपक्ष सेंधमारी करने में कामयाब रही. लोकसभा चुनाव नतीजों ने बीजेपी की टेंशन को बढ़ा रखी है, जिससे उभरने का रास्ता बीजेपी जरूर बैठक में तलाशती हुई नजर आई.

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में बीजेपी कार्यसमिति की बैठक में हार पर विस्तार और खुले दिल से चर्चा किए जाने की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन आंकड़ों के मकड़जाल से हार पर परदा डालने की कोशिश की गई. प्रदेश कार्यसमिति के उद्घाटन से लेकर राजनीतिक प्रस्ताव पारित होने और समापन तक के कार्यक्रमों में पार्टी नेता पुरानी बात को बार-बार दोहराते नजर आए. हालांकि, बैठक में इस बात पर कोई चर्चा नहीं हुई कि उन नेताओं पर क्या कार्रवाई की गई, जिनके बयानों से बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा. इतना ही नहीं इस बात पर भी बात नहीं हुई कि बीजेपी की कोर वोटबैंक समझे जाने वाली ओबीसी जातियां क्यों खिसक गईं. ऐसे में कार्यसमिति में बीजेपी के उभरने का रोडमैप क्या बना?

लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद बीजेपी को फिर से कार्यकर्ता याद आने लगे हैं. 2024 में बीजेपी की हार के पीछे सबसे कारण कार्यकर्ताओं का निराशा होना था. कार्यसमिति की बैठक में इस नब्ज को समझते हुए बीजेपी नेताओं ने कार्यकर्ताओं के सम्मान को याद दिलाया. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कार्यकर्ताओं के असंतोष को खत्म करने के मद्देनजर कहा कि संगठन सरकार से बड़ा है, संगठन से बड़ा कोई नहीं है. हर एक कार्यकर्ता हमारा गौरव है. जो आप कार्यकर्ताओं का दर्द है, वही मेरा भी दर्द है.

दलित समाज को जोड़ने के लिए पार्टी ने दलित नेताओं की एक टीम भी तैयार की है, जो अलग-अलग बस्तियों पर जाकर उन्हें समझाने का काम करेगी. सीएम योगी ने कहा कि कन्नौज मेडिकल कॉलेज का नाम बदला गया. भीमराव अंबेडकर के नाम पर रखे कॉलेज का नाम सपा सरकार ने बदला था, जिसे बीजेपी ने दोबारा से बाबा साहेब के नाम पर रखा.सपा ने सत्ता में रहते हुए एससी-एसटी की स्कॉलरशिप भी रोक दी थी. इस बात को अब बीजेपी कार्यकर्ता दलित बस्तियों में जाकर लोगों के बताने का काम करेंगे. पीएम मोदी ने अम्बेडकर से जुड़े पांच स्थलों को पंच तीर्थ घोषित किया. इस तरह से दलित समुदाय को साधने का बीजेपी ने प्लान बनाया है.

अयोध्या में बीजेपी भले ही लोकसभा चुनाव हार गई है, लेकिन हिंदुत्व के मुद्दे पर बने रहने का प्लान है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने राजनीतिक प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि लखन पासी जी को याद किये बिना बैठक अधूरी रहेगी. उन्होंने कहा कि भारत की आत्मा अयोध्या, काशी और मथुरा में बसती है. पहले कांवड़ यात्रा को रोका जाता था. अयोध्या में 500 साल बाद भव्य राम मंदिर बना और पीएम मोदी ने धारा 370 हटाने का काम किया.

सीएम योगी ने कहा कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण की शुरुआत के बाद अब काशी और मथुरा समेत सभी तीर्थस्थल ‘नयी अंगड़ाई’ लेते हुए दिखायी दे रहे हैं और इन स्थितियों में सबको एक बार फिर आगे बढ़ना होगा. इस तरह से साफ है कि बीजेपी अपने कोर एजेंडे पर जमे रहने का ही फैसला है और उसे लेकर आगे बढ़ने की बात कही जा रही है. ऐसे में साफ है बीजेपी किसी भी सूरत में अपने मूल मुद्दे से हटने वाली नहीं है और उस पर सियासी बिसात बिछाने का फैसला किया है.

प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में बीजेपी ने उपचुनाव के साथ-साथ 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव का रोडमैप तय कर दिया है. बीजेपी ने कार्यकर्ताओं के सामने सबसे पहले यूपी में खाली होने वाली 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को जीतने का टारगेट रखा है. लोकसभा चुनाव नतीजे के बाद यह सीटें खाली हुई हैं, जिसमें 5 सीटें सपा, 3 सीटें बीजेपी और आरएलडी-निषाद पार्टी के एक-एक विधायक के इस्तीफे से खाली हुई हैं. बीजेपी ने 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव का टारगेट सेट किया है, जिसे हरहाल में जीतने का प्लान है.

2024 के लोकसभा के चुनाव में मिली जीत से विपक्ष के पक्ष में बने माहौल को खत्म करने का बीजेपी के पास उपचुनाव जीतना ही लक्ष्य है. इस तरह से उपचुनाव जीतकर बीजेपी यूपी की सियासत में सियासी संदेश देने का दांव चल सकती है, क्योंकि लोकसभा चुनाव के नतीजे ने बीजेपी के लिए 2027 की टेंशन बढ़ा दी है. सपा और कांग्रेस ने जिस तरह 43 लोकसभा सीटें जीती है, उस विधानसभा के लिहाज से देखें तो 223 विधानसभा के सीटें होती है. इस तरह बीजेपी उपचुनाव के साथ-साथ 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए अपनी सियासी बिसात बिछाना चाहती है.

लोकसभा चुनाव में मिली हार पर बीजेपी कार्यसमिति की बैठक में मंथन हुआ, लेकिन कोई एक्शन नहीं दिखा. अति पिछड़ी जातियों में बीजेपी की कोर वोटबैंक समझी जानी वाली जातियां क्यों छिटक गई. इस सवालों पर मनन-मंथन करने से ज्यादा बैठक में नेतृत्व का फोकस सफाई देने और राहुल-अखिलेश की सफलता से हिंदू समाज पर मंडराने वाले खतरे के बारे में बताने पर रहा. बीजेपी के खिसके जनाधार को वापस पाने के लिए क्या-क्या होना चाहिए. भितरघातियों से बीजेपी नेतृत्व किस तरह निपटने जा रहे हैं. इस बार बात नहीं हुई और न ही उनपर चर्चा हुई जिनके बयान से बीजेपी को हार का मूंह देखना पड़ा है.

बैठक में इस बात पर जोर रहा कि कार्यसमिति के सदस्य लखनऊ से लौटकर जाएं तो हार पर अपना माथा न पीटें बल्कि देश में लगातार तीसरी बार बीजेपी सरकार बनने की उपलब्धि का प्रचार करें. नेता जाकर कार्यकर्ताओं में उत्साह भरें और लोगों को यह समझाएं कि बीजेपी की सरकार बनना ऐतिहासिक है. कार्यसमिति में यह भी मंथन हुआ कि उपचुनाव से पहले अब कैसे विपक्ष की काट करनी है और हर बूथ तक किस तरह से विपक्ष के भ्रम को तोड़ना है.