भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ एक मिलीजुली रणनीति पर काम कर रहे हैं। जिसके तहत सभी वर्गों में समन्वय बनाकर रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को संपन्न करने की दिशा में काम किया जा रहा है। राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष कल ही दिल्ली से आये हैं और वो अगले तीन दिनों तक अयोध्या और लखनऊ में रहेंगे। इस दौरान वो संगठन और पार्टी के कार्यकर्ताओं से मंत्रणा भी करेंगे। सूत्रों के अनुसार संगठन की तरफ से निर्देश दिया गया है कि अयोध्या जाने वाले भाजपा कार्यकर्ता पार्टी का झंडा नहीं ले जायेंगे। दर्शन यात्रा में भाजपा कार्यकर्ताओं को अपना झंडा लेकर शामिल नहीं होना होगा। गौरतलब है कि भाजपा राम मंदिर को अपना चुनावी एजेंडा बताती है, जबकि संघ इसके जरिये समाज के सभी वर्गों जिनमें विपक्ष भी शामिल है को एक राय करना चाहता है।
आरएसएस ने बनाई खास रणनीति, अयोध्या दर्शन यात्रा में नहीं दिखेगा BJP का झंडा !
सूत्रों के अनुसार रणनीति बनी कि 22 जनवरी का उत्साह सभी घरों में दिखना चाहिए, ऐसा माहौल बनाना है। इसके लिए भाजपा कार्यकर्ता हर वर्ग, समुदाय, संगठन, बौद्धिक वर्ग आदि से मिलकर धार्मिक आयोजन का उत्साह बांटे। इसमें सरकारी तंत्र भी शामिल हो। कहा गया कि पार्टीगत मामला होने पर विरोधी पक्ष के लोग रामोत्सव और रामज्योति जलाने से दूर रह सकते हैं। यह भी हो सकता है कि राजनीतिक खेमेबाजी होने लगे, विरोधी अपने झंडे के साथ दर्शन करने निकले और माहौल खराब हो, इसलिए ऐसा होने न दिया जाये। इसके लिए धार्मिक आयोजन का ही उत्साह हो। तभी आयोजन में हर कोई उत्साह के साथ शामिल होगा। यह मंत्र गांव-गांव-घर-घर तक पहुंचाना है। इसमें सबसे अहम कड़ी सरकारी तंत्र को जोड़ना है, ताकि उत्साह कई गुना दिखे। अयोध्या को देश की सांस्कृतिक राजधानी होने की बात कई बार मुख्यमंत्री योगी दोहरा चुके हैं।