बीते दिन काबुल एयरपोर्ट (Kabul Airport Blast) पर हुए आत्मघाती हमले को लेकर अमेरिका और ब्रिटेन में ठना ठनी हो चुकी है अमेरिका का मानना है कि ब्रिटेन की जिद के कारण ही यह हमला हो गया है. जिसमें अमेरिका ने अपने 13 जवान खो दिए और 170 लोगों से भी अधिक लोगों की जान चली गई . पेंटागन के लीक हुए पेपरों में कहा गया है कि यदि ब्रिटेन एयरपोर्ट का गेट बंद करने पर राजी हो जाता है तो इतने लोगों की जान ना जाती. बता दें कि ब्रिटिश और यूएस आर्मी के अफगानिस्तान (Afghanistan) छोड़ने से पहले ही यह हमला हो गया था. इस हमले को करवाने की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट (ISIS) ने ली थी.
अमेरिका को थी हमले की आशंका
एक रिपोर्ट के अनुसार लीक डॉक्यूमेंट में यह बोला गया था कि अमेरिका ने ब्रिटिश सैनिकों के एयरपोर्ट का गेट बंद रखने के लिए कई बार आग्रह किया, लेकिन उन्होंने एक बार भी नहीं सुना. अमेरिका के बार-बार खतरे की आशंका जताने के बाद भी ब्रिटेन गेट खुले रहने की बात पर अड़ा रहा थाताकि उसका रेस्क्यू मिशन तेजी से चलता रहे और इसी के कारण आतंकियों को आत्मघाती हमला करने का मौका मिल गया.
यूके ने नहीं दिया अटेंशन
लीक दस्तावेजों में यह भी बताया गया कि पेंटागन (Pentagon) को काबुल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर बड़े हमले की आशंका थी. उसने हमले के 24 घंटे पहले एक बैठक में स्पष्ट शब्दों में यह कहा था कि एयरपोर्ट केइंटरनेशनल एयरपोर्ट पर बड़े हमले की आशंका थी . कि एयरपोर्ट के मेन गेट पर सबसे ज्यादा खतरा मंडरा रहा है. इसीलिए उस गेट को बंद रखना जरूरी है . इसके अतिरिक्त हमले वाले दिन भी कॉन्फ्रेंस कॉल में अमेरिका ने गेट बंद रहने की बात को रिपीट किया था, लेकिन ब्रिटेन ने उनकी चेतावनी को अटेंशन नहीं दी.
वार्निंग के 6 घंटे बाद ही हुआ आत्मघाती हमला
ब्रिटिश सैनिकों ने हवाईअड्डे के पास स्थित Baron Hotel को बेस बनाया हुआ था और वह चाह रहे थे कि एयरपोर्ट गेट हमेशा के लिए खुला रहे जिससे कि वह जल्द से जल्द लोगों को बाहर निकाल पाए. पेंटागन का यह मानना है कि उसकी चेतावनी के केवल 6 घंटे बाद ही एयरपोर्ट पर आत्मघाती हमला ह गया, जिससे 13 युवक सैनिकों के साथ साथ 170 लोगों की मौत हो गई . अमेरिका ने जब यह आरोप लगाया उसके बाद भी उन्होंने किसी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं दी है. उसी तरफ से ब्रिटेन ने केवल यही बोला है कि पूरे ऑपरेशन के दौरान दोनों देशों ने साथ मिलकर काम किया है .