आम तौर पर मुर्गियां और बत्तख अंडा देने के बाद उस पर बैठकर नेचुरल हैचिंग करती हैं और अंडे से चूजा बाहर आता है. इस प्रक्रिया में अंडे से चूजे निकलने का प्रतिशत कम होता है. ऐसे में किसान, पशुपालक और कुक्कुट पालक को नुकसान होता है. इसी समस्या को ध्यान में रख रांची वेटनरी कॉलेज के छात्रों ने थर्मोकॉल के बक्से, बल्ब और थर्मो स्टेट मशीन से महज 15 सौ रुपये में कृत्रिम एग हैचिंग मशीन बनाया है. रांची के बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में लगे तीन दिवसीय पूर्वी क्षेत्र किसान मेला में पशु चिकित्सा कॉलेज का स्टॉल सुर्खियों में है.
इस स्टॉल पर वेटनरी कॉलेज के छात्रों द्वारा बनाया गया लो कॉस्ट एग इंक्यूबेटर सबको आकर्षित कर रहा है. महज 15 सौ रुपये में थर्मोकॉल बॉक्स और बल्व, टेम्परेचर का थर्मोस्टेटिक मोड्यूल, ऑटो कट की सहायता से ऐसा लो कॉस्ट इंक्यूबेटर बनाया है जो महज 15 सौ का है. और इसमें एक बार में 50 अंडों की हैचरी कोई भी मुर्गी पालक अपने घर पर कर सकता है. बाजार में पांच से आठ हजार रुपये में बिकने वाला स्मॉल एग इंक्यूबेटर को महज 15 सौ में बना दिया है. वह भी ऐसा जो सोलर,बैटरी या बिजली तीनों से चल सकता है, ताकि ग्रामीण कुक्कुट पालक इसका इस्तेमाल कर लाभ उठा सकें.
क्या कहते हैं वेटनरी कॉलेज के डीन वेटनरी कॉलेज के डीन डॉ. सुशील प्रसाद ने बताया कि वेटनरी छात्र अनल बोस और अन्य छात्रों ने ऐसा एग हेचरी मशीन बनाया है, जिसका उपयोग दूर दराज के इलाकों जहां बिजली बैटरी नहीं है वहां भी हो सकता है. इसकी एक और खूबी यह है कि महज 1500 रुपये में कुक्कुट पालक अपने घर में ही 50 अंडों की हेचरी कर चूजा निकाल सकता है. इसमें अंडे से चूजे निकलने की संभावना भी 70% से ऊपर है.