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Sankashti Chaturthi : संकष्टी चतुर्थी व्रत आज, जानें शुभ मुहूर्त व पूजा विधि

देवों के देव भगवान गणेश (Lord Ganesha), जिन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. उनकी हर महीने शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को विशेष पूजा (Worship) की जाती है. इसे लोग संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi ) या विनायक चतुर्थी के नाम से जानते हैं. इस दिन अगर विधि-विधान से बप्पा की पूजा की जाए तो जीवन में आने वाले सभी संकट से मुक्ति मिलती है. नवंबर में 12 तारीख को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा. ऐसे में आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी में पूजा के लिए शुभ मुहूर्त के बारे में.

चंद्रोदय के बाद पारण
मान्यताओं के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी व्रत का पारण चंद्रोदय के बाद किया जाता है. चंद्र दर्शन के बाद ही संकष्टी चतुर्थी की पूजा की जाती है. ऐसे में जो लोग भी संकष्टी चतुर्थी का व्रत रख रहे हों, उनके लिए चंद्रोदय के समय का ध्यान रखना बेहद जरूरी है.

शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि प्रारंभ- 11 नवंबर शाम 8 बजकर 17 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त- 12 नवंबर 10 बजकर 25 मिनट तक
संकष्टी के दिन चंद्रोदय- 8 बजकर 21 मिनट पर

संकष्टी चतुर्थी पूजा की विधि-
चतुर्थी वाले दिन सुबह उठकर स्नान करना चाहिए। इस दिन लाल रंग के वस्त्र धारण कर भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। पूजा करते वक्त अपना मुख हमेशा उत्तर की ओर रखें। गणेश जी को पुष्प, गंध और दीप अर्पित करें। पूजा करते वक्त भोग में भगवान गणेश को प्रिय मोदक या तिल का लड्डू चढ़ाएं। रात को चंद्रमा की पूजा करने के बाद व्रत का पालन करें।

दूर्वा करें अर्पित
इसके बाद भगवान को जल अर्पित करें और उन्हें हल्दी-कुमकुम का तिलक करें और पीले वस्त्र अर्पित करें. उन्हें पीले फूलों की माला पहनाएं और दूर्वा भी अर्पित करें. दूर्वा भगवान गणेश को काफी प्रिय है. इसके बाद उन्हें मोदक और मिठाईयों का भोग लगाएं. इसके बाद पूजा पाठ करते हुए आरती करें. शाम के समय गणपति बप्पा की पूजा करने के बाद चंद्र देव को अर्घ्य दें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसकी पुष्टि नहीं करते है.)