Breaking News

MMS कांड: अश्लील वीडियो बनाना और फॉरवर्ड करना गैरकानूनी, दोषी को मिलेगी ऐसी सजा

चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी (Chandigarh University) में छात्राओं के अश्लील वीडियो वायरल होने की खबर पर देशभर में चिंता और गुस्सा है। इस घटना ने फिर से सख्त आईटी कानूनों को चर्चा के केंद्र में ला दिया है। क्या आप जानते हैं कि इस तरह से किसी का अश्लील वीडियो (porn videos) बनाना और उसे आगे फॉरवर्ड करना सलाखों के पीछे पहुंचा सकता है। हमने इन बारे में ज्यादा जानकारी के लिए आईटी कानूनों के एक्सपर्ट (expert in law) पवन दुग्गल से बातचीत की।

अगर कोई व्यक्ति किसी का अश्लील वीडियो रिकॉर्ड (porn video record) करता है तो भारतीय आईटी एक्ट की धारा 66 ई के तहत उसे दोषी सिद्ध किया जा सकता है। इसके लिए तीन साल की सजा और 5 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। हालांकि इसमें दोषी को बेल मिल सकती है।

अगर मामला अंतरंग वीडियो (जिसमें प्राइवेट पार्ट दिख रहे हों या संभोग की स्थिति हो) का है तो सजा की मियाद 5 साल और हो सकती है।

जिस शख्स का वीडियो बनाया गया है उसकी उम्र 18 साल से कम है तो मामला चाइल्ड पोर्नोग्राफी के दायरे में आ जाता है। इसमें 10 साल तक की सजा का प्रावधान है।

अगर कर दी वीडियो को फॉरवर्ड करने की गलती…
किसी भी तरह की अश्लील सामग्री आगे फॉरवर्ड(forward) करना कानूनन अपराध है। फिर चाहे उसे कंप्यूटर के जरिये फॉरवर्ड किया गया हो या मोबाइल से।

आईटी एक्ट की धारा 67 ए के तहत पहली बार दोषसिद्धि पर तीन साल तक की जेल और पांच लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। दूसरी बार या बार-बार ऐसी हरकत करने पर पांच वर्ष जेल और दस लाख तक जुर्माना हो सकता है।

अपना अश्लील वीडियो बनाना भी गैरकानूनी
कुछ लोग अपने मोबाइल पर अंतरंग वीडियो बनाते हैं और इसे पर्सनल मामला समझते हैं। आईटी कानून के जानकार इसे भी गैरकानूनी कृत्य करार देते हैं। कोई भी शख्स अगर डिवाइस पर अपनी अश्लील हरकत रिकॉर्ड करता है तो वो चाहे उसे आगे फॉरवर्ड करे या ना करे आईटी एक्ट की धारा 66 ई का दोषी होगा।

डिलीट वीडियो भी मिल सकता है
अक्सर लोग अपने अश्लील वीडियो बनाकर मोबाइल से डिलीट करके निश्चिंत हो जाते हैं। वो शायद ये नहीं जानते कि तकनीकी जानकारी रखने वाला कोई भी व्यक्ति इन डिलीट किए गए वीडियोज और तस्वीरों को रिट्रीव कर सकता है।

संस्थान भी आ सकते हैं घेरे में
अश्लील सामग्री किसी संस्थान के नेटवर्क से फॉरवर्ड की जाती है तो उस पर भी कार्रवाई हो सकती है। मिसाल के तौर पर अगर चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी मामले में ये बात सामने आती है कि वीडियो भेजने में संस्थान का इंटरनेट इस्तेमाल हुआ है तो संस्थान के अधिकारियों पर भी शिकंजा कस सकता है।

अपनाएं ये उपाय
जयपुर पुलिस के साइबर क्राइम एक्सपर्ट मुकेश चौधरी ने बताया कि आसानी से उपलब्ध सॉफ्टवेयर के जरिये डिलीट की गई सामग्री रिट्रीव की जा सकती है।

जब भी अपना पुराना फोन किसी को दें या बेचें तो उसे फैक्ट्री रीसेट कर दें। इससे सामग्री रिट्रीव होने के चांस कम हो जाएंगे।

अपने फोटो और वीडियो मोबाइल हार्डवेयर की बजाय मेमोरी कार्ड में सेव करें। किसी को अपना फोन दें तो कार्ड निकाल लें। जरूरत पड़े तो इस कार्ड को ही खत्म कर दें।

कई बार साइबर क्राइम के केस में ऐसा देखने में आया है कि परिवार के ही सदस्य ने दूसरे के मोबाइल की सामग्री को रिट्रीव करके उसकी मुश्किलें बढ़ा दीं।