लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटा संगठन टीआरएफ ने अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर में हिंदुओं को निशाना बनाते हुए कई हमलों की जिम्मेदारी ली है। ढांगरी नरसंहार, शिवखोड़ी बस हमला और पहलगाम आतंकी हमला इसकी साजिशों के प्रमुख उदाहरण हैं।
अमेरिका की ओर से आतंकी संगठन घोषित किया गया लश्कर का मुखौटा संगठन टीआरएफ जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं पर हर बड़े हमलों में शामिल रहा है। बीते छह वर्षों में ढांगरी नरसंहार, रियासी के शिवखोड़ी में श्रद्धालुओं की बस पर हमला और इस साल पहलगाम आतंकी हमला इसके गवाह हैं।
अनुच्छेद 370 हटने के बाद लश्कर-ए-तैयबा ने टीआरएफ नाम से संगठन को सक्रिय कर गुमराह करने का प्रयास किया कि ये ग्रुप कश्मीर के युवाओं का है और 370 हटाने के खिलाफ लड़ रहा है। शुरुआत में टीआरएफ ने 12 अक्तूबर 2019 को एन्क्रिप्टेड चैट प्लेटफॉर्म टेलीग्राम के जरिए ऑनलाइन अपनी उपस्थिति की घोषणा की थी। यह घोषणा श्रीनगर के हरि सिंह हाई स्ट्रीट पर हुए एक ग्रेनेड हमले के बाद की गई, जिसमें सात नागरिक घायल हुए थे।
ग्रेनेड हमले की जिम्मेदारी लेते हुए टेलीग्राम पर पोस्ट किए गए अपने पहले संदेश में आतंकियों ने खुद को टीआरएफ का बताया। ये भी लिखा कि ग्रेनेड हमला कश्मीर से भारत के शासन को खदेड़ने के लिए कश्मीर के स्वदेशी प्रतिरोध की शुरुआत है।
यह हमला हमारे कार्यकर्ताओं ने किया है और भविष्य में भी ऐसे हमले होते रहेंगे। हिंदुओं के प्रति अपनी सांप्रदायिक नफरत को जारी रखते हुए 5 दिसंबर 2022 को टीआरएफ से जुड़े एक ब्लॉग कश्मीरी फाइट ने जम्मू-कश्मीर में प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत काम कर रहे 57 कश्मीरी पंडित कर्मचारियों के नाम और विवरण सहित एक सूची लीक कर दी। चेतावनी दी थी कि वे कश्मीरी पंडितों की ट्रांजिट कॉलोनियों को कब्रिस्तान में बदल देंगे।