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निमिषा प्रिया को बड़ा झटका, तलाल के भाई ने ब्लड मनी लेकर माफी देने से साफ किया इनकार

यमन (Yemen) की राजधानी सना (Sanaa) में जिंदगी और मौत के बीच झूल रही केरल (Kerala) की नर्स निमिषा प्रिया (Nimisha Priya) को बड़ा झटका लगा है। तलाल अब्दो महदी (Talal Abdo Mahdi) के भाई ने निमिषा को ब्लड मनी लेकर माफी देने से साफ इनकार कर दिया है। हालांकि, अब भी निमिषा की जान बचाने के लिए परिवार और सरकार की ओर से तमाम कोशिशें जारी हैं और कोई भी फाइनल फैसला नहीं हुआ है।

निमिषा को पहले 16 जुलाई को फांसी दी जानी थी, लेकिन भारत सरकार की उसे बचाने की कोशिशो का असर हुआ है और कुछ समय के लिए फांसी को टाल दिया गया। नर्स का परिवार तलाल के भाई के संपर्क में है और ब्लड मनी के जरिए उसकी जान बचाने की कोशिश में लगा हुआ है। ब्लड मनी के लिए निमिषा की ओर से साढ़े आठ करोड़ रुपये तलाल के भाई को ऑफर किए गए हैं।

हालांकि, इसके बावजूद भी तलाल के परिवार ने साफ कर दिया है कि न्याय तो होकर रहेगा, भले ही इसमें देरी क्यों न हो रही हो। तलाल के भाई अब्दुल फतह महदी ने बीबीसी अरबी को बताया कि परिवार किसास की मांग कर रहा है। यह एक इस्लामी कानूनी शब्द है, जो बदले की कार्रवाई या प्रतिशोधात्मक न्याय के सिद्धांत को बताता है। अब्दुल ने कहा कि प्रिया को फांसी दी जानी चाहिए। उसने आगे कहा, ”परिवार निमिषा प्रिया की जान बख्शने के बदले में न तो माफ करेगा और न ही ब्लड मनी स्वीकार करेगा।”

वहीं, पिछले पांच सालों से निमिषा की जिंदगी बचाने की कोशिशों में लगे सोशल वर्कर सैमुअल जेरोम ने कहा कि यमन सरकार पूरी तरह से दयालु रही है, लेकिन हमें तलाल के परिवार की पीड़ा को समझना होगा। उनका विश्वास जीतने के लिए और निमिषा प्रिया को माफी दिलवाने के लिए भारत और यमन सरकार के साथ बातचीत जारी रखनी होगी। यह नाजुक प्रक्रिया है।

इससे पहले, केंद्र ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यमन में हत्या के जुर्म में मौत की सजा का सामना कर रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करने के लिए सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है। जस्टिस विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ को सूचित किया गया कि प्रिया की फांसी पर रोक लगा दी गई है। उसे 16 जुलाई को फांसी दी जानी थी। याचिकाकर्ता संगठन ‘सेव निमिषा प्रिया- इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ के वकील ने पीड़ित परिवार से बातचीत के लिए यमन जाने के वास्ते केंद्र से एक प्रतिनिधिमंडल बनाने का अनुरोध किया है। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता सरकार के समक्ष अपना पक्ष रख सकता है।