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2020 बना आफत: पहले कोरोना..फिर तूफ़ान…अब बाढ़ की चेतावनी…इन 16 राज्यों में मंडराया बाढ़ का खतरा!

मौसम विभाग ने कहा है कि इस बार भी मॉनसून में सामान्य स्तर की बारिश होगी. ऐसे में बांधों में भरा पानी कहां जाएगा? बांध नहीं खोले गए तो भी बाढ़ की आशंका रहेगी और खोल दिए गए तो भी. आइए जानते हैं कि इस बार मॉनसूनी बारिश में देश के 16 राज्यों में क्या होगा…केंद्रीय जल आयोग (Central Water Commission – CWC) के 11 जून के बुलेटिन के अनुसार देश के 123 जलाशय (बांध) पिछली साल के इसी समय की तुलना में 173 फीसदी ज्यादा भरे हुए हैं.

अगर इस बार मॉनसूनी बारिश ज्यादा हुई तो बांधों में और पानी जमा होगा. इसके बाद अलग-अलग राज्य सरकारों और प्रशासन को मजबूरी में बांधों के गेट्स को खोलना पड़ेगा. जिससे बांध के आसपास के निचले इलाकों में बाढ़ आने की आशंका है. अगर ज्यादा बारिश होती है तो सवाल उठता है कि क्या केंद्र सरकार और राज्य सरकारें बाढ़ प्रबंधन के लिए तैयार हैं. क्या पहले से भरे हुए बांधों को और भरने दिया जाएगा या उससे पहले कोई इंतजाम किया जाएगा.

हर साल बाढ़ से यूपी, बिहार, असम, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश समेत कई राज्य परेशान होते हैं. इस साल बांधों में पानी पिछली साल की तुलना में ज्यादा है तो ऐसी स्थिति में क्या होगा. क्या ये प्रयास किया जा सकता है कि बांधों से धीरे-धीरे पानी कम किया जाए, ताकि मॉनसून के अंत तक ये सारे बांध फिर से अपनी पूरी क्षमता के साथ भर जाएं. अगर ऐसा नहीं हुआ तो बांधों की वजह से बाढ़ (Dams induced flood) आने की आशंका ज्यादा है. पिछली साल कर्नाटक-महाराष्ट्र और साल 2018 में केरल में आई बाढ़ ताजा उदाहरण हैं बांधों की वजह से आई बाढ़ के. इन राज्यों में बांधों से पानी छोड़ने और मॉनसूनी बारिश की वजह से भयावह बाढ़ आई थी.

देश के उत्तरी क्षेत्र (Northern Region) के बांधों और जलाशयों में 11 जून 2020 तक औसत स्टोरेज 39 फीसदी है, जबकि पिछले साल इसी समय में यह 29 फीसदी था. उत्तरी क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान आते हैं. इनमें 8 जलाशय CWC के तहत आते हैं.

पूर्वी क्षेत्र (Eastern Region) के बांधों और जलाशयों में 28 फीसदी पानी भरा है. जबकि पिछली साल ये सिर्फ 19 फीसदी था. इस क्षेत्र में झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और नगालैंड आते हैं. इन राज्यों के 18 जलाशय CWC के तहत आते हैं.  पश्चिमी क्षेत्र (Western Region) के बांधों में 35 फीसदी पानी भरा हुआ है. जबकि, पिछली साल ये इसी समय में ये 11 फीसदी था. पश्चिमी क्षेत्र में आने वाले राज्य गुजरात और महाराष्ट्र के 42 जलाशय CWC के तहत आते हैं.

मध्य क्षेत्र (Central Region) के बांधों में 38 फीसदी पानी जमा हुआ है. जबकि, पिछले साल इस समय में ये 24 फीसदी था. इस क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ आते हैं. इन राज्यों के 19 जलाशय CWC के तहत आते हैं.

दक्षिणी क्षेत्र (Southern Region) के बांधों में 24 फीसदी पानी है. वहीं, पिछले साल इसी समय इन बांधों में 12 फीसदी पानी था. इस रीजन में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु आते हैं. इन राज्यों के 36 जलाशय CWC के तहत आते हैं.

CWC ने अपने बुलेटिन में बताया है कि गंगा, सिंधु, नर्मदा, तापी, माही, साबरमती, कच्छ की नदियों, गोदावरी, कृष्णा, महानदी, कावेरी में पिछली साल की तुलना में सामान्य जलस्तर है. यानी पानी की कमी नहीं है. बारिश होने पर इनका फैलाव क्षेत्र और बढ़ेगा.

पिछले साल की तुलना में इस समय देश के इन 16 राज्यों के जलाशयों में पानी का स्टोरेज बेहतर है. ये राज्य हैं- पंजाब, राजस्थान, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु.

पूरे देश में सिर्फ हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा और नगालैंड हैं, जहां के जलाशयों में पिछले साल की तुलना में पानी कम है. लेकिन मॉनसूनी बारिश अच्छी हुई तो ये भी अपनी क्षमता के अनुरूप भर जाएंगे.