हर इंसान चाहता है कि वह सदा जवान रहे और उसकी त्वचा स्फूर्ति और फ्रैशनेस बनी रहे। इसके लिए इंसान विभिन्न प्रकार के ब्यूटी प्रोडक्ट प्रयोग करते हैं। ब्यूटी प्रोडक्ट के साथ-साथ लोग कपड़ों भी खास ध्यान देते हैं। हाल ही में इटली में हुए स्टडी हुई जिसकी रिपोर्ट बताती है कि सिल्क की अंडरवेअर पहनने पर आपके प्राइवेट पाट्र्स को होने वाले इंफेक्शन की स्थिति में होने वाली खुजली और रेडनेस में राहत मिलती है। वैसे मार्केट में डर्मासिल्क भी आता है, जो नॉर्मल सिल्क से अलग होता है। इसमें एक खास प्रोटीन नहीं होता है, जो इंफेक्शन के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है।
एक अन्य अध्ययन में कहा गया कि सूती कपड़ा और प्राकृतिक सिल्क को मिलाकर या सूती कपड़े के साथ शिफॉन के कपड़े को मिलाकर बनाया गया मास्क हवा में मौजूद ठोस कणों अथवा तरल कणों को व्यक्ति के संपर्क में नहीं आने देता। लेकिन मास्क का आकार सही होना जरूरी है। अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार ‘सार्स-कोव-2’, नया कोरोना वायरस जिसके कारण कोविड-19 होता है, वह मुख्य तौर पर किसी संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने, बात करने अथवा सांस लेने के दौरान उसके मुंह अथवा नाक से निकले तरल कणों के कारण फैलता है। मास्क बनाने से संबंधित अध्ययन में अमेरिका के शिकागो विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ता भी शामिल हैं। अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार खांसने या छींकने से निकलने वाले तरल कण कई आकार के होते हैं लेकिन सबसे छोटे कण (एरोसोल) खास तरह के कपड़ों के रेशों में आसानी से घुस सकते हैं।
दरअसल सिल्क को नैचरल थर्मल रेग्यूलेटर माना जाता है। इसकी यह खासियत इसे शरीर का तापमान बनाए रखने में मदद करती है। अगर आपकी बॉडी वॉर्म है, तो यह उसे बाहर की ठंडी हवा से बचाने में मदद करेगा। वहीं अगर बॉडी कूल है, तो इससे बाहर की गर्मी का शरीर पर असर कम करने में मदद मिलेगी। यही वजह है कि सर्दी और गर्मी दोनों मौसम में ही इस कपड़े को पहनने पर कंफर्ट महसूस होता है।एक ओर जहां कॉटन कंफर्टेबल माना जाता है, तो वहीं उसे स्किन मॉइस्चर के लिहाज से अच्छा नहीं माना जाता। दरअसल, कॉटन का कपड़ा त्वचा के मॉइस्चर को सोखता है वहीं सिल्क इसे बरकरार रखने में मदद करता है।