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हंदवाड़ा एनकाउंटर में शहीद कर्नल आशुतोष शर्मा का सैन्य सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार, भाई और पत्नी ने दी मुखाग्नि

जम्मू-कश्मीर में हंदवाड़ा में आतंकवादियों से मुठभेड़ में शहीद हुए कर्नल आशुतोष शर्मा का आज यहां सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। शहीद का अजमेर रोड पुरानी चुंगी नाका स्थित मोक्षधाम में उनके भाई पीयूष शर्मा एवं शहीद की पत्नी पल्लवी ने मुखाग्नि दी। इससे पहले शहीद को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इस मौके शहीद के परिजन, सेना के अधिकारी एवं जवान मौजूद थे।

शहीद को नम आंखों से अंतिम श्रद्धांजलि देतीं पत्नी

इससे पूर्व शहीद का पार्थिव शरीर सेना के 61 कैवलरी पोलो ग्राउंड पर अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। कृषि मंत्री लाल चंद कटारिया एवं परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़, जिला कलेक्टर डॉ जोगाराम, सेना के अधिकारियों एवं जवानों ने पुष्प चढ़ाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। सेना के जवानों ने बैंड वादन एवं शस्त्र उल्टा करके दिया शहीद को सैन्य सम्मान दिया गया। इस दौरान शहीद की पत्नी पल्लवी, मां सहित परिजनों ने आंसू नहीं बहाये और उनकी शहादत पर गर्व करते हुए उन्हें सलाम किया।रास्ते में सड़क किनारे खड़े लोगों ने सामाजिक दूरी का पालन करते हुए पुष्प वर्षा कर शहीद को सलाम किया। लोगों ने कर्नल आशुतोष अमर रहे, जय जवान जय किसान एवं पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए।

Martyr Col Ashutosh Sharma: शहीद को दी गई अंतिम ...

शहीद का पार्थिव शरीर सोमवार को विशेष विमान से जयपुर पहुंचा और सुबह सैन्य अस्पताल से पार्थिव शरीर पोलो ग्राउंड लाया गया। उल्लेखनीय है कि कर्नल आशुतोष रविवार को हंदवाड़ा में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे। वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बुलंदशहर के निवासी थे। उनका परिवार जयपुर के वैशाली नगर स्थित रंगौली गार्डन क्षेत्र में रहता है।

Handwara Kashmir Encounter News, Five Soldiers Including Two Army ...

कौन थे कर्नल आशुतोष
21 राष्ट्रीय राइफल्स यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर रहे कर्नल आशुतोष अपने आतंक रोधी अभियानों में साहस और वीरता के लिए दो बार वीरता पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं। इतना ही नहीं, शहीद आशुतोष कर्नल रैंक के ऐसे पहले कमांडिंग अफसर थे, जिन्होंने पिछले पांच साल में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में अपनी जान गंवाई हो। इससे पहले साल 2015 के जनवरी में कश्मीर घाटी में आतंकियों से लोहा लेने के दौरान कर्नल एमएन राय शहीद हो गए थे। इसके अलावा, उसी साल नवंबर में कर्नल संतोष महादिक भी आतंकियों के खिलाफ अभियान में शहीद हो गए थे।