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राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने लॉन्च की गाय के गोबर की चिप, कहा- रोक सकता है मोबाइल का रेडिएशन

ऐसा माना जाता है कि देसी गाय के गोबर और मूत्र में कई तरह के औषधीय गुण पाए जाते हैं। वहीं इसी बीच राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने सोमवार को गाय के गोबर से बना एक चिप लॉन्च किया है और कहा कि इससे मोबाइल हैंडसेट्स का रेडिएशन काफी हद तक कम हो जाता है। आयोग के अध्यक्ष वल्लभ भाई कथीरिया ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ‘हमने देखा है कि मोबाइल के साथ रखते हैं तो रेडिएशन काफी हद तक कम हो जाता है। बीमारी से बचना है तो आगे आने वाले वक्त में यह भी काम आने वाला है।’ इसके साथ ही कामधेनु आयोग ने गाय के गोबर से बने कई दूसरे प्रॉडक्ट भी लॉन्च किए, जिनका लक्ष्य इस दीवाली पर प्रदूषण कम करने का है।

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग (आरकेए) के अध्यक्ष वल्लभभाई कथीरिया

कथीरिया ने कहा, देखिए यह एक रेडिएशन चिप है। आप इसे अपने मोबाइल में रख सकते हैं। हमने देखा है कि यदि आप इस चिप को अपने मोबाइल में रखते हैं, तो यह रेडिएशन को काफी कम कर देता है। अगर आप बीमारी से बचना चाहते हैं, तो इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। इस चिप को गौसत्व कवच का नाम दिया गया है। गौसत्व कवच को गुजरात के राजकोट स्थित श्रीजी गौशाला द्वारा निर्मित किया गया है।

कथीरिया ने कहा, आपने कुछ दिन पहले सुना होगा कि अभिनेता अक्षय कुमार … उन्होंने गाय का गोबर खाया है। आप इसे खा सकते हैं। यह एक दवा है। लेकिन हम अपने विज्ञान को भूल गए हैं। उन्होंने कहा, अब हमने एक शोध परियोजना शुरू की है। हम इन विषयों पर शोध करना चाहते हैं जिन्हें हम एक मिथक मानते हैं।

गाय के गोबर से बने अन्य उत्पादों को प्रदर्शित करते हुए आरकेए के अध्यक्ष ने कहा, गाय का गोबर एंटी रेडिएशन है। यह सभी की रक्षा करता है, यदि आप इसे घर लाते हैं तो आपका स्थान रेडिएशन फ्री हो जाएगा। यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है।

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष बोले- गाय के गोबर से बना चिप घटाएगा मोबाइल का रेडिएशन

कथीरिया ने बताया, 500 से अधिक गौशालाएं इस तरह के एंटी-रेडिएशन चिप्स का निर्माण कर रही हैं। एक चिप की कीमत 50 से 100 रुपये के बीच है। एक व्यक्ति तो ऐसे चिप्स को अमेरिका में निर्यात कर रहा है, जहां वह इसे 10 डॉलर प्रति चिप की दर से बेच रहा है।

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग (आरकेए) मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत आता है। केंद्र द्वारा छह फरवरी, 2019 को इस आयोग को स्थापित किया गया था और इसका उद्देश्य ‘गायों का संरक्षण और विकास’ है। केंद्रीय बजट 2019-20 में इसकी घोषणा की गई थी।