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यात्रियों को छोड़कर उड़ान भरने के मामले में DGCA ने रिपोर्ट तलब की, गो फर्स्ट ने माफी मांगी

विमानन क्षेत्र की नियामक संस्था डीजीसीए ने गोफर्स्ट एयरलाइंस से 50 से अधिक यात्रियों को एयरपोर्ट पर ही छोड़कर उड़ान भरने के मामले में रिपोर्ट तलब की है। बता दें कि एयरलाइन की उड़ान 9 जनवरी को बैंगलोर हवाई अड्डे पर 50 से अधिक यात्रियों को सवार करना भूल गई थी। 55 में से 53 यात्रियों को दिल्ली के लिए दूसरी एयरलाइन में स्थानांतरित कर दिया गया था। शेष 2 ने रिफंड मांगा था जिसका एयरलाइन की ओर से भुगतान कर दिया गया था।

अब इस मामले में गो फर्स्ट ने प्रभावित यात्रियों से माफी मांगी है और घटना में शामिल एयरलाइंस के कर्मचारियों को फिलहाल रोस्टर से हटा दिया गया है। कुछ यात्री सवार होने के लिए एक शटल बस में इंतजार कर रहे थे। छोड़े गए यात्रियों और अन्य यूजर्स ने सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा जाहिर किया और इसे एयरलाइंस की घोर लापरवाही बताया। उधर, विमानन नियामक डीजीसीए ने इस घटना पर एयरलाइन से रिपोर्ट मांगी है।

बता दें कि सोमवार को कुछ यात्रियों ने सोशल मीडिया पर आरोप लगाया कि बेंगलुरू से दिल्ली जाने वाली गो फर्स्ट फ्लाइट ने बस में सवार यात्रियों को लिए बिना लिए ही उड़ान भर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि फ्लाइट जी8 53 यात्रियों को छोड़कर सोमवार सुबह 6 बजकर 40 मिनट पर रवाना हो गई थी।

गो फर्स्ट ने इस घटना पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। हालांकि, एक ट्वीट के जवाब में एयरलाइन ने यूजर्स से अपना विवरण साझा करने का आग्रह किया और कहा कि हमें आपको हुई असुविधा के लिए खेद है।

सतीश कुमार नाम के एक यात्री ने ट्वीट किया, फ्लाइट जी8 यात्रियों को जमीन पर छोड़कर उड़ान भर दी। एक बस में पचास से ज्यादा यात्रियों को जमीन पर छोड़ दिया गया और केवल एक बस के यात्रियों के को विमान पर चढ़ने दिया गया। क्या गो फर्स्ट, ज्योतिरादित्य सिंधिया, पीएमओ इंडिया नींद में चल रहे हैं? कोई बुनियादी जांच नहीं की गई!

इस मामले में नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने एक बयान में कहा, ”उचित संचार- समन्वय, सुलह और पुष्टि की कमी जैसी कई गलतियों के कारण अत्यधिक टाली जा सकने वाली स्थिति के कारण ऐसी स्थिति पैदा हुई। नियामक ने गो फर्स्ट के जवाबदेह प्रबंधक/मुख्य परिचालन अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि नियामकीय दायित्वों में लापरवाही बरतने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए।” डीजीसीए की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करते हुए एयरलाइन को दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का समय दिया गया है। उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।