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बाबरी मस्जिद विध्वंस: इन तीन वजहों से 32 आरोपियों को कोर्ट बरी करने पर हो गया मजबूर

बाबरी मस्जिद विध्वंस प्रकरण में गत बुधवार को लखनऊ की विशेष अदालत ने 32 आरोपितों को बरी कर दिया। कोर्ट के इस फैसले को बीजेपी के नेताओं ने सत्य की जीत करार दिया, तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी है, जो इसकी आलोचना कर रहे हैं। कई लोगों का तो यहां तक कहना है कि अगर ऐसा होता रहा तो वो दिन दूर नहीं, जब हम सबका विश्वास न्यायपालिका से उठ जाएगा। कोर्ट ने इन 32 आरोपियों को रिहा करते हुए कहा कि यह पूर्व नियोजित नहीं बल्कि आक्सिमक होने वाली घटना थी बल्कि इन लोगोंं ने उपद्रवियों को रोकने तक की कोशिश की थी। बता दें कि कोर्ट ने अपने फैसले में लाल कृष्ण आडवाणी, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, मुरली  मनोहर जोशी समेत अन्य आरोपियों को इस केस से बरी कर दिया है।

इतिहास का काला दिन 
कोर्ट के इस फैसले का जहां बीजेपी का एक पूरा का पूरा धड़ा स्वागत कर रहा है, तो वहीं ओवैसी सहित अन्य नेता कोर्ट के इस फैसले की मुखालफत कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह सरासर सत्य को झूठलाने का नुमाना मात्र है। ओवैसी ने फैसले के दिन को न्यायापालिका के दिन का काला दिन करार दिया है, तो चलिए हम आपको अपनी इस रिपोर्ट में उन तीन वजहों के बारे में बताते हैं, जिसके चलते माना जा रहा है कि कोर्ट ने इन्हें इस केस से बरी कर दिया।

वो तीन वजह? 

पूर्व नियोजित नहीं थी घटना 
कोर्ट के जज सुरेंद्र कुमार यादव ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह घटना पूर्व नियोजित नहीं थी बल्कि एकाएक घटने वाली घटना थी। जिसको रोकने का पर्यत्न इन आरोपियों ने भी खुद किया था, लेकिन उन्मादी हो चुकी लोगों की भीड़ मानने को तैयार नहीं थी। कोर्ट ने कहा कि अशोक सिहंल ने तो बकायदा कारसेवकों को वहां से लौटने तक की अपील की थी। इन आरोपियों के खिलाफ कोर्ट  में पुख्ता सुबूत भी पेश नहीं किया गया है, जिसके आधार पर यह माना जा सके कि यह दोषी हैं।

आपत्तिजनक नारे?
उधर, आपत्तिजनक नारे के संदर्भ में कोर्ट ने कहा कि सीबीआई द्वारा कोर्ट में पेश किए गए रिकॉर्डिंग मेंं आक्रमक नारे लगाने की बात कही जा रही है। लेकिन कोर्ट ने इन सुबूतों को मानने से कतई इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि उस दिन वहां पर लाखों  कारसेवक मौजूद थे, जो वहां पर आक्रमक नारे लगा रहे थे, और जहां तक भड़काऊ भाषण की बात है तो उनकी आवाज भड़काऊ भाषण से मेल नहीं खाती है।

नहीं थी इन्हें इस बात की जानकारी?  
इसके साथ ही कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि उस दिन वहां मौजूदा  इन आरोपियों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि क्षेत्र में धारा 144 लागू हुआ है। कोर्ट ने कहा कि विवादित स्थल पर हिंसा दोपहर 12 बजे शुरू हो गई थी। उस वक्त वहां पर 5 लाख करासेवक मौजूद थे, और धारा 144 शाम 4 बजे लगाई गई थी।