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पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने विश्वंभर सिंह द्वार के अनावरण लोकार्पण के साथ साझा किए पंडित जी से जुडे संस्मरण

रिपोर्ट:- गौरव सिंघल,विशेष संवाददाता, दैनिक संवाद, सहारनपुर मंडल,उप्र:।।

सहारनपुर (दैनिक संवाद न्यूज)
 पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने आज सहारनपुर में  विश्वंभर सिंह द्वार के अनावरण लोकार्पण के साथ पंडित जी से जुडे संस्मरण साझा किए। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द मोक्षायतन का सर्वोच्च सम्मान भारत योग स्वास्थ्यश्री पाने वाले दूसरे राष्ट्रपति बने, इससे पहले राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह को प्रदान किया था सार्वजनिक अभिनंदन। योग गुरु स्वामी भारत भूषण ने अपने हाथों से पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को परंपरागत पगड़ी बांधी और स्वास्थ्य श्री भव्य चिन्ह और सनद उन्हें भेंट किए। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मोक्षायतन से जुड़ने को गौरवपूर्ण एहसास बताया। संस्थान की गुरु माता इष्ट शर्मा ने देश की प्रथम नागरिक रह चुकी सविता कोविन्द जी का स्वागत रुद्राक्ष माला, दोशाला और गोवत्सा भेंटकर किया। इस दौरान परंपरागत भारत योग परिवार की चौथी पीढ़ी के राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विजेता योग साधक साधिकाओं ने मनोहारी प्रेरक व रोमांचक प्रदर्शन किया। पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने 10 साल की उम्र से कला, संगीत, काव्य और संरचना में गहरी पैठ रखते हुए हर साल नई संरचना देने वाली 13 वर्षीया देवी प्रत्यक्षा के तीसरे गीत कान्हा मेरे कान्हा का ऑडियो रिलीज करने के साथ ही, मोक्षायतन योग संस्थान की वार्षिकी सिंहावलोकन का विमोचन भी किया ।
कोविंद बोले राष्ट्रपति के रूप में मैं अनेक बार गया जलगोबिंद मठ। जिसकी महंताई की लीक तोड़ते हुए शिक्षक और क्रांतिकारी बनकर बिशंबर दास से बिशम्बर सिंह बने पंडित जी। कोविंद बोले, ऐसे महापुरुषों ने ही उस दौरान देश को दिशा दी और आज व भविष्य में भी ऐसे काम स्वार्थ से मुक्त और देशप्रेम वासी और दायित्व से युक्त महामानव ही कर रहे हैं और करेंगे। शिक्षा इसका बड़ा जरिया है जो पंडित जी ने नई पीढ़ी की शक्ति को समय अपनाया और अगली पीढ़ी के लिए उनके पदचिन्हों पर चलते हुए योग गुरु स्वामी भारत भूषण जी ने नेशन बिल्डर्स अकादमी और मोक्षायतन योग संस्थान की स्थापना करके कर रहे हैं।
श्री कोविंद जी ने कहा कि मात्र 21वर्ष की उम्र में एक अंतरराष्ट्रीय योग संस्थान बनाने का सपना पूरा कर देना उनकी दूरदर्शी सोच और संकल्पशक्ति का परिणाम है। उनका 1990 में ही अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की शुरुआत करके योग को वैश्विक पहचान देने का ही या नतीजा रहा कि वह ऐसे पहले योगी बन गए जिन्हें मात्र 39 साल की उम्र में योग के क्षेत्र में पहला पद्मश्री सम्मान दिया गया। उन्होंने राष्ट्रीयता और अध्यात्म संस्कारों को सराहने के साथ अपनाने पर जोर देते हुए राष्ट्रगान में सिर्फ शांत खड़े होने के बजाय उसे समवेत रूप में गाने पर बल दिया।
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि पंडित जी की गुरु परंपरा को उनके पुत्र योग गुरु स्वामी भारत भूषण जी और आगे की दो पीढ़ियों ने विश्व पटल तक पहुंचाया। उन्होंने दक्षिणी अमरीकी देश सूरीनाम की घटना को दोहराया जब विश्व इतिहास में पहली बार दो देशों के राष्ट्रध्यक्षों ने एक साथ योगाभ्यास किया वह भी गुरु भारत भूषण जी की योग कक्षा में। बड़े सहज भाव में जनमंच सभागार में संबोधन देते हुए उन्होंने कहा कि मैं तीन साल से मोक्षायतन योग संस्थान में आना चाहता थे लेकिन कोरोना की विभीषिका से कार्यक्रम स्थगित होता रहा, आखिरकार आज मैं आपके बीच हूं।
इस अवसर पर बोलते हुए अंतर्राष्ट्रीय योग गुरु स्वामी भारत भूषण ने अपने खास अंदाज में कहा कि यद्यपि योग मार्ग में ईर्ष्या के लिए कोई स्थान नहीं है फिर भी रामनाथ कोविंद जी के सौभाग्य से मुझे थोड़ी ईर्ष्या हो रही है, कि मेरे पूज्य पिता पंडित विश्वंभर सिंह जी जिस जलगोविद मठ के पीठाधीश्वर हुआ करते थे हमने तो सिर्फ उसका नाम ही सुना था लेकिन महामहिम के रूप में श्री रामनाथ कोविंद जी ने उस मठ के दर्शन भी किए हैं। उन्होंने कहा कि श्री रामनाथ कोविंद जी पूर्व राष्ट्रपति के रूप नहीं बल्कि 5 साल के कार्यकाल में उनकी सरकार ने देश को एक मज़बूत लोकतंत्र के रूप में दुनिया को दंग और दुष्टों को तंग करने वाले जो फैसले लिए हैं, उनके कारण हमेशा एक अभूतपूर्व राष्ट्रपति बने रहेंगे।
उन्होंने कहा कि महापौर संजीव वालिया के नेतृत्व में सहारनपुर नगर निगम ने, मार्ग का नामकरण व नगर का सबसे विशाल भव्य पंडित विश्वंभर सिंह द्वार का निर्माण करके, सभी को वैसा बनने की प्रेरणा का ज्योति स्तंभ खड़ा कर दिया है। ज्ञातव्य है कि बेरी बाग में पंडित विश्वंभर सिंह जी के आवास की ओर जाने वाले मार्ग का नाम उनके नाम पर रखते हुए यहीं मुख्य मार्ग पर नगर का विशालतम राष्ट्र निर्माता पंडित विश्वंभरसिंह द्वार बनाया गया है। जिसका लोकार्पण पूर्व महामहिम राष्ट्रपति श्री कोविंद व उनकी धर्मपत्नी सविता कोविन्द ने किया। इस अवसर पर  संसदीय कार्य व उद्योग मंत्री जसवंत सिंह, पूर्व राजनयिक आचार्या प्रतिष्ठा, सांसद प्रदीप चौधरी, महापौर संजीव वालिया, नगर विधायक राजीव गुंबर, नकुड़ विधायक मुकेश चौधरी, जिलाधिकारी अखिलेश सिंह आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम के अंत में योग गुरु ने सभी से अपने हर दिन की शुरुआत सुबह खड़े होते ही 52 सैकंड के राष्ट्रगान से करने और देशभक्ति की जिम्मेदारी को ताजा बनाए रखने के लिए फोन वार्ता की शुरुआत वंदे मातरम और बातचीत का समापन जय हिंद से करने का वायदा भी लिया।