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पिता के खिलाफ जा 400 रूपये के लिए खेला मैच, अब IPL में करोड़पति बना बेटा

आईपीएल ने कई लोगों की किस्मत बदली है. इस लीग में आने वालों पर पैसों की बारिश होती है और फिर कहानी ही बदल जाती है. टी. नटराजन से लेकर मोहम्मद सिराज जैसों तक के कई उदाहरण मौजूदा हैं. मुकेश कुमार भी इनमें शामिल हो सकते हैं. मुकेश कुमार पर आईपीएल-2023  की नीलामी में जमकर पैसा बरसा है. इस खिलाड़ी के लिए दिल्ली कैपिटल्स ने 5.50 करोड़ की कीमत चुकाई है. आईपीएल से पहले ही मुकेश का चयन टीम इंडिया में हो गया था लेकिन वह डेब्यू नहीं कर पाए थे.

मुकेश को हालांकि पता था कि वह जल्दी आईपीएल खेलेंगे. उन्होंने पूरे विश्वास के साथ अंग्रेजी अखबार  को दिए एक इंटरव्यू में आईपीएल खेलने को लेकर कहा था, “भैया उधर भी ट्रायल्स चल रहा है मेरा काफी सालों से. दरवाजा टूटेगा जरूर.” मुकेश ने ये बात तब कही थी जब उनका साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेली गई वनडे सीरीज में टीम इंडिया में चयन हुआ था. उन्हें हालांकि डेब्यू का मौका नहीं मिला था.”

400 रुपये के लिए खेले मैच

मुकेश के लिए यहां तक का सफर काफी मुश्किल भरा रहा. यूं तो मुकेश बिहार के गोपालगंज के रहने वाले हैं. लेकिन वह 2012 में कोलकाता आ गए थे और यहीं से उनके जीवन का नया अध्याय शुरू हुआ. वह पिता की इच्छा के खिलाफ जाकर 400-500 रुपये के लिए मैच खेला करते थे. लेकिन फिर उन्होंने बंगाल क्रिकेट संघ (सीएबी) द्वारा आयोजित ट्रायल्स में हिस्सा लिया और फिर यहां से उनकी किस्मत बदल गई. इस ट्रायल में उन्हें बंगाल के पूर्व तेज गेंदबाज राणादेब बोस, वीवीएस. लक्ष्मण, वकार यूनिस और मुथैया मुरलीधरन ने देखा और काफी प्रभावित हुए. नतीजा ये रहा कि वह एक साल के अंदर बंगाल की टीम में आ गए थे. यहां से वह इंडिया-ए के लिए खेले. फिर साउथ अफ्रीका सीरीज के लिए उनका चयन हुआ.

मुकेश हालांकि अपने जीवन के संघर्ष को ज्यादा तवज्जो नहीं देते हैं क्योंकि उनके मुताबिक ये हर किसी के जीवन में रहता है. उन्होंने कहा, “मेरा जीवन ट्रायल्स के बारे में है. पहले गोपालगंज में, जहां मैं जिले का बेस्ट गेदंबाज बना इसके बाद कोलकाता में. जिसने मेरी जिंदगी बदल दी. मेरे जीवन में संघर्ष रहा है लेकिन ये काफी आम बात है. हर किसी के साथ होता है. अगर जिंदगी में मुश्किल न आती तो शायद यहां नहीं पहुंच पाता.”

लोगों ने दिया साथ

मुकेश कहते हैं कि जीवन के हर कदम पर किस्मत ने उनका साथ दिया. चाहे उनके पिता हों जिन्होंने उन्हें बंगाल आने को कहा या फिर बोस और मनोज तिवारी. उन्होंने कहा, “मैं काफी भाग्यशाली रहा हूं, हर कदम पर मुझे मदद मिली. मेरे पिता ने मुझे क्रिकेट में करियर बनाने के लिए एक साल दिया था और फिर मैं किस्मत वाला रहा कि रानो (रानादेब) सर, मनोत भैया, अरुण लाल सर मिले. अगर ये लोग नहीं होते तो मैं कभी यहां तक नहीं पहुंचता. मनोज भैया ने मुझे बल्ला दिया, पैड और ग्लव्ज दिए.”