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नए मिशन में जुटा ISRO, भविष्य के कॉस्ट इफेक्टिव रॉकेट पर शुरू किया काम

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organization- ISRO) अपने सबसे भारी रॉकेट LVM-3-M2/वनवेब इंडिया-1 को सफलतापूर्वक लॉन्च (successfully launched) करने के बाद एक नए मिशन (new missions) में लग गया है. वैश्विक बाजारों में विश्वसनीय लॉन्चरों (reliable launchers) की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए इसरो ने भविष्य के रॉकेट पर काम करना शुरू कर दिया है, जो ‘लागत प्रभावी और इंडस्ट्री के अनुकूल’ होगा।

इंडिया स्पेस कांग्रेस में बोलते हुए इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ (S Somnath) ने बुधवार को खुलासा किया कि इसरो की एक टीम ने इस तरह के रॉकेट के डिजाइन को परिभाषित करने पर काम करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि हम इस क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाली इंडस्ट्री के साथ साझेदारी में एक लागत प्रभावी और विश्वसनीय रॉकेट बनाना चाहते हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार सोमनाथ ने आगे कहा कि ‘एक बार डिजाइन तैयार हो जाने के बाद, हम इंडस्ट्री से इनपुट मांगेंगे. इसरो अपनी विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए नए रॉकेट का डिजाइनर और संरक्षक बना रहेगा. साथ ही निर्माता के साथ-साथ ऑपरेटर भी होगा. हमें उम्मीद है कि एक या दो साल में इस तरह के रॉकेट का डिजाइन तैयार हो जाएगा।’

इसरो प्रमुख ने यह भी कहा कि ‘अंतरिक्ष एजेंसी जल्द ही छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी या मिनी-पीएसएलवी) का परीक्षण-लॉन्च करना चाहती है. उन्होंने कहा कि दो सफल परीक्षण लॉन्च के बाद, हम एसएसएलवी रॉकेट टेक्नोलॉजी को इंडस्ट्री को सौंप देंगे. हमने हाल ही में इंडस्ट्री को पीएसएलवी का उत्पादन भी सौंपा है और जल्द ही इंडस्ट्री इसरो के समर्थन से पांच पीएसएलवी रॉकेट लॉन्च करेगा. बाद में वे अपने दम पर इसका उत्पादन संभालेंगे।’

इसरो अध्यक्ष ने कहा कि टजब एक साल में जीएसएलवी के प्रक्षेपण की संख्या की बात आती है तो इसरो की उत्पादन क्षमताएं सीमित हैं। उन्होंने आगे कहा कि हम इंडस्ट्री के सहयोग से लॉन्च की संख्या में वृद्धि करना चाहते हैं। सिर्फ दो लॉन्च काफी नहीं हैं, हम एक साल में छह लॉन्च चाहते हैं और अंतत: इसे 12 लॉन्च तक ले जाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इसरो बाजार की जरूरतों को पूरा करने के लिए बड़ी संख्या में छोटे उपग्रह भी बनाना चाहता है।’

अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने का जिक्र करते हुए इसरो प्रमुख ने कहा कि ‘अंतरिक्ष क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं. हम चाहते हैं कि युवा नए विचारों के साथ आएं और स्टार्ट-अप शुरू करें. इसके साथ ही इस उद्योग में बड़े खिलाड़ियों से भी हम अनुरोध करना चाहते हैं कि इन युवाओं के स्टार्ट-अप का समर्थन करें।’