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टेरर फंडिंग मामले में अलगाववादी नेता यासीन मलिक दोषी, पाक को लगी मिर्ची

टेरर फंडिंग (terror funding) के मामले में अलगाववादी नेता यासिन मलिक (Yasin Malik) को एनआईए (NIA) की कोर्ट ने दोषी करार दिया है, हालांकि यासिन मलिक ने अपना गुनाह कबूल पहले ही कर लिया था। यासिन (Yasin Malik) के गुनाह कबूल करने के बाद स्पेशल जज प्रवीण सिंह ने अपना फैसला 19 मई को सुनाने का आदेश था। जिसकी सुनवाई में यह फैसला आया है।

बता दें कि जम्‍मूकश्मीर में पिछले दो दशक से भी ज्‍यादा समय तक घाटी में आतंकवाद फैलाने वाले यासीन मलिक Yasin Malik को दोषी ठहराए जाने से पाकिस्‍तान को मिर्ची लगी है। यासीन पर एनआईए कोर्ट गुरुवार को अपना फैसला सुनाता, इससे पहले ही पाकिस्तान ने पैंतरे दिखाने शुरू कर दिए थे। बुधवार रात पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में भारतीय दूतावास प्रभारी को तलब कर लिया। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने दूतावास अधिकारी को आपत्तियों से जुड़ा एक दस्तावेज (डिमार्शे) सौंपा, जिसमें यासीन मलिक के खिलाफ ‘मनगढ़ंत आरोप’ लगाए जाने की कड़ी निंदा की गई थी।यहां तक कि पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि कश्मीरी हुर्रियत नेता मलिक Yasin Malik फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में कैद है। भारत सरकार ने कश्मीरी नेतृत्व की आवाज को दबाने के लिए मलिक को फर्जी मामलों में फंसाया है। पाकिस्तान ने भारत सरकार से मलिक को सभी निराधार आरोपों से बरी करने और जेल से तत्काल रिहा करने का मांग की ताकि वह अपने परिवार से मिल सकें और अपने स्वास्थ्य में सुधार कर सामान्य जीवन जी सकें।

 

दरअसल, 16 मार्च को कोर्ट ने हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन, यासिन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताफ अहमद शाह, अवतार अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपितों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था। एनआईए के मुताबिक पाकिस्तान की खूफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तोयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया। वर्ष 1993 में अलगवावादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए आल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई।

एनआईए के मुताबिक हाफिद सईद ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिये आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया। इस धन का उपयोग वे घाटी में अशांति फैलाने, सुरक्षा बलों पर हमला करने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का काम किया। इसकी सूचना गृह मंत्रालय को मिलने के बाद एनआईए ने विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया था।