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जान जोखिम में डालकर लकड़ी के पुल से गुजरने को मजबूर ग्रामीण, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

बाराबंकी: बाराबंकी जिले में जब एक पक्का पुल टूट गया और लोगों को आने जाने में दिक्कतें होने लगीं तो गांव वालों ने 6 साल पहले आपसी चंदा लगाकर लकड़ी का पुल बना लिया. उसी लकड़ी के पुल से आज गांव के सैकड़ों लोग जान जोखिम में डालकर आने-जाने को मजबूर हैं. कई बार यह लकड़ी का पुल टूटा और हादसा होते-होते बचा. ऐसे में लोग चंदा लगाकर पुल की मरम्मत करवाते हैं, लेकिन अभी तक यहां कोई पक्का पुल नहीं बन सका है. ऐसे में यहां कभी भी कोई बड़ा हादसा भी हो सकता है.

यह पुल बाराबंकी की तहसील रामसनेहीघाट और विधानसभा दरियाबाद क्षेत्र के अन्तर्गत घाघरा नदी में तराई क्षेत्र के सेमरी गांव के पास पड़ता है. यहां लोगों ने जुगाड़ से एक लकड़ी का पुल बनाया है. यहां पक्का पुल न होने से जुगाड़ वाले लकड़ी के पुल से लोगों को जान जोखिम में डालकर हर दिन सफर करना पड़ता है. लेकिन कोई भी बड़ा जिम्मेदार नेता और अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं देता है.

बाढ़ में बह गया था पुल
गांव वालों की मानें तो 6 साल पहले टूटे इस लकड़ी के पुल से खतरा बना हुआ है और कभी भी हादसे हो सकते हैं. उन्होंने बताया कि 6 वर्ष पूर्व जब जबरदस्त बाढ़ आई थी, तो पक्का पुल टूट कर बह गया था. जिसके बाद लोगों ने आपसी सहयोग से यह लकड़ी का पुल बना दिया.

हमेशा बना रहता है खतरा
इस पुल से गांव के लोग पैदल तो आते-जाते हैं ही साथ में बाइक से भी निकलते हैं और स्कूली बच्चे भी पढ़ने जाते है. जहां हर वक्त खतरा बना रहता है. यहां के लोगों की मांग है कि इस लकड़ी के पुल से लोगों को काफी दिक्कत होती है. इसलिए यहां पक्का पुल बनवाया जाए. लोगों का कहना है कि सबसे बड़ी दिक्कत छोटे बच्चों के साथ बुजुर्गों के लिए है. बीमार होने पर उनके गांव तक एम्बुलेंस और चार पहिया वाहन नहीं पहुंच पाता है. अचानक अगर किसी की तबीयत खराब हो जाती है, तो मोटरसाइकिल से बैठाकर लोगों को ले जाना पड़ता है.