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कोरोना वायरस से ठीक हो रहे मरीजों के लिए बुरी खबर, जिंदगी भर झेलनी पड़ सकती है यह बीमारियां

कोरोना वायरस के खौफ के बीच जिंदगी गुजारने को मजबूर हो चुके लोगों को निजात दिलाने के लिए फिलहाल शोध का सिलसिला जारी है। इस शोध में कई बातें हैरान और परेशान करने वाली सामने आ रही है। वो भी ऐसे वक्त में जब लगातार कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे आलम में शोध में सामने आ रहे यह तथ्य यकीनन परेशान कर देने वाले हैं। अभी ताजा शोध का निष्कर्ष अंग्रेजी अखबार दॉ टेलीग्राफ से सामने आया है। इसमें एक स्टडी प्रकाशित हई है कि जिसमें यह बताया गया है कि कोरोना वायरस से दुरूस्त हो चुके मरीजों को आजीवन कुछ गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।

इस स्टडी में दावा किया गया है कि कोरोना से दुरूस्त हो रहे मरीजों को आजीवन फेफड़ों की समस्या का सामना करना पड़ सकता है, चूंकि यह वायरस आमतौर पर सर्वप्रथम फेफड़ों पर आक्रमण करता है, जिसका मरीजों के दुरूस्त होने के बावजूद भी असर बना रहता है। स्टडी में साफ किया गया है कि कोरोना से ठीक हो रहे मरीजों को आजीवन थकान और मानसिक तकलीफ का सामना करना पड़ सकता है। वहीं आईसीयू में गंभीर लक्षण वाले मरीजों के दुरूस्त होने के बाद उन्हें गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

दिमागी परेशानी 
वहीं स्टीड में यह भी दावा किया गया है कि कोरोना वायरस से ठीक हो रहे मरीजों को दिमागी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे मरीजों का आलजाइमर का खतरा हो सकता है। नेशनल हेल्थ सर्विस की चीफ हिलेरी फ्लॉयड कहती हैं कि कोरोना वायरस से ठीक हो रहे मरीजों को आगामी दिनों या फिर आजीवन कौन सी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसको लेकर फिलहाल अंतिम तौर पर कुछ भी कहना मुश्किल है, चूंकि हमारे पास इस संदर्भ में बहुत कम जानकारी मौजूद है।

विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादातर मामले में मरीजों में फेफड़ों की समस्याएं आमतौर पर देखी जा रही है। फेफड़ों में सूजन पैदा हो जाता है, जिसे निमोनिया कहा जाता है। फेफड़ा कोरोना वायरस का प्रवेश द्वारा माना जाता है। मगर बाद मेें इसके किडनी और आंत में जाने की संभावना बनी रहती है। गौरतलब है कि अभी पूरे विश्व में कोरोना वायरस का कहर अपने चरम पर पहुंच चुका है। लगातार संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है। भारत में साढ़े चार लाख मरीजों की संख्या हो चुकी है, जिसमें से औसतन ढाई लाख मरीज दुरूस्त हो चुके हैं। अब ऐसी स्थिति में कोरोना वायरस को मात देकर नई जिंदगी की शुरूआत करने जा रहे मरीजों के लिए इसे एक नई चुनौती  के रूप में देखा जा रहा है।