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किश्‍तवाड़ में माता के होर्ड‍िंग पर लगाए गुलाम नबी आजाद के पोस्‍टर, मचा बवाल

हाल ही में कांग्रेस (Congress) को अलव‍िदा कह चुके जम्मू कश्मीर (Jammu & Kashmir) के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) के पोस्‍टरों से क‍िश्‍तवाड़ (Kistwar) में व‍िवाद खड़ा हो गया है. क‍िश्‍तवाड़ ज‍िले में बीती रात कई हिदू संगठनों ने गुलाम नबी आजाद के पोस्टर (Poster Controversy) को लेकर जमकर हंगामा और बवाल काटा. इतना ही नहीं उन्‍होंने रास्ता बंद कर जोरदार प्रदर्शन भी क‍िया. दरअसल गुलाम नबी आजाद के समर्थकों ने मैचल माता की होर्ड‍िंग पर माता की तस्‍वीर के उपर उनके पोस्‍टर चस्‍पा कर द‍िए गए थे.

इस मामले को लेकर ह‍िंदू संगठनों ने कड़ी आपत्‍त‍ि जताई और इसको लेकर जबर्दस्‍त प्रदर्शन भी क‍िया. सड़क जाम करते हुए हंगामा क‍िया. बीती रात कुछ लोगो ने गुलाम नबी आजाद के पोस्टर मैचल माता की होर्डिंग पर माता की तस्वीर पर लगा दिए थे जिसको लेकर संगठनों ने जमकर हंगामा हुआ. इस हंगामे और व‍िरोध के बीच स्‍थानीय पुल‍िस प्रशासन ने सभी पोस्टरों को उतार द‍िया है. उन्‍होंने प्रदर्शनकारी संगठनों को आश्‍वस्‍त भी कि‍या क‍ि वह जल्‍द ही इस तरह की हरकत करने वाले लोगों को गिरफ्तार करेगें.

इस पूरे घटनाक्रम पर गौरक्षक दल किश्‍तवाड़ के प्रधान अशुं सिंह ने कहा है क‍ि यह सब कुछ ह‍िंदूओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के ल‍िए जानबूझ कर किया गया है. हमारी भावनाओं को आहत करने की कोशिश की जा रही है. अगर प्रशासन ने इस मामले में तुरंत एक्शन नहीं लिया तो इसका खाम‍ियाजा भुगतना होगा. प्रदर्शनकार‍ियों का आरोप है कि पूर्व मंत्री गुलाम मोह्म्द सरुरी के इशारे पर ऐसा हुआ है. सरुरी आजाद के समर्थक माने जाते हैं.

गुलाम नबी आजाद के साथ कई समर्थकों ने भी छोड़ी कांग्रेस पार्टी
बताते चलें क‍ि जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे के बाद प्रदेश कांग्रेस से सैकड़ों नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भी उनके समर्थन में पार्टी छोड़ दी है. इसके बाद कांग्रेस नेताओं ने भी जम्मू में शक्ति प्रदर्शन कर पार्टी को मजबूत रखने का संदेश दिया था. अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार जम्मू पहुंचे नवनियुक्त प्रदेशाध्यक्ष विकार रसूल वानी, एआईसीसी की जम्मू कश्मीर मामलों की प्रभारी रजनी पाटिल के साथ कार्यकारी अध्यक्ष रमण भल्ला का सतवारी एयरपोर्ट से शहीदी चौक स्थित पार्टी मुख्यालय पर रैली की शक्ल में जोरदार स्वागत भी किया गया था. इस दौरान पाटिल और रसूल के निशाने पर आजाद रहे.