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एंटीगुआ के PM ने फिर कहा- चोकसी अब बना डोमिनिका की समस्या

भगोडे़ मेहुल चोकसी को भारत लाने की कवायद तेज हो गई हैं। एंटीगुआ और बारबुडा चाहता है कि भगोड़े हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी को डोमिनिका से सीधे भारत भेजा जाए।कैरेबियाई द्वीप देश की कैबिनेट ने एक बैठक में ये फैसला लिया। प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राउन ने कहा कि चोकसी अब डोमिनिका की समस्या बन गया है। प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राउन ने अपने फेसबुक पर लिखा कि उनके मंत्रिमंडल ने चोकसी के मामले पर चर्चा की और साथ ही कहा कि चोकसी अब डोमिनिका की समस्या है। अगर वह वापस एंटीगुआ आते हैं तो समस्या हमारे लिए होगी। इसलिए बेहतर होगा कि चोकसी को डोमिनिका से भारत ही भेज दिया जाए। बता दें कि ब्राउन पहले ही कह चुके हैं कि चोकसी को डोमिनिका से सीधे भारत भेजा जाए।

एंटीगुआ की कैबिनेट में चोकसी को सीधे भारत को सौंपने का फैसला

एंटीगुआ एंड बरबुडा के पीएम गेस्टन ब्राउन के नेतृत्व में हुई कैबिनेट बैठक में चोकसी को सीधे भारत के हवाले करने का फैसला लिया गया। ब्राउन पहले ही इस बारे में बयान दे चुके हैं। मंत्रियों ने माना कि भारत में उसके खिलाफ आर्थिक धोखाधड़ी का मामला चल रहा है और उसे भारत को सौंप देना चाहिए।

डोमिनिका की छवि दांव पर

डोमिनिका की कानून को मानने और न्यायप्रिय देश होने की छवि दांव पर लगी है। मेहुल चोकसी मामले पर पूरी दुनिया की नजर है। मामला कैरेबियाई देश के हाईकोर्ट में विचाराधीन है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह ओपन और शट केस है और कानूनी तौर पर चोकसी को भारत के हवाले कर दिया जाना तय है। उसने एंटीगुआ में नागरिकता रद्द किये जाने को चुनौती दी है। जबकि एंटीगुआ के प्रधानमंत्री दो टूक कह चुके हैं कि वह भारत का ही नागरिक है और उसे भारत के हवाले किया जाना चाहिए। इन सब के बीच पूरी दुनिया की नजर इस बात पर है कि डोमिनिका का हाईकोर्ट क्या फैसला सुनाता है।

चोकसी 23 मई को एंटीगुआ से लापता हुआ था

बता दें कि भगोड़ा चोकसी 23 मई को एंटीगुआ से लापता हो गया था और उसने अवैध रूप से डोमिनिका में प्रवेश कर लिया था इसके बाद उसे वहां की पुलिस ने अपनी गिरफ्त में ले लिया था। एंटीगुआ में वह 2018 से एक नागरिक के रूप में रह रहा था। डोमिनिका की एक अदालत ने गुरुवार को चोकसी की जमानत खारिज कर दी। सुनवाई के दौरान डोमिनिकन न्यायाधीश बर्नी स्टीफेंसन ने कहा कि भगोड़े व्यवसायी को डोमिनिका में अवैध प्रवेश के आरोपों का मजिस्ट्रेट अदालत में जवाब देना चाहिए।